झारखंड हाईकोर्ट ने रिम्स की व्यवस्था पर 10 दिनों में मांगी रिपोर्ट, झालसा की कमेटी करेगी जांच

रांची, 20 नवंबर . Jharkhand के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल रांची स्थित राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में मरीजों के इलाज और बुनियादी सुविधाओं की बदहाली को लेकर दायर जनहित याचिका पर Jharkhand हाईकोर्ट में Thursday को महत्वपूर्ण सुनवाई हुई.

हाईकोर्ट ने Jharkhand लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (झालसा) को निर्देश दिया है कि वह एक टीम गठित कर अस्पताल की मौजूदा स्थिति का विस्तृत निरीक्षण करे और 10 दिनों के भीतर रिपोर्ट दाखिल करे.

कोर्ट ने कहा कि झालसा की टीम दवा उपलब्धता, पैथोलॉजी सेवाएं, ट्रॉमा सेंटर की स्थिति, पेयजल, साफ-सफाई, मेंटेनेंस और मरीजों को मिलने वाली अन्य बुनियादी सुविधाओं की वास्तविक स्थिति का आकलन करेगी.

मामले में प्रार्थी को भी निर्देश दिया गया है कि वह 10 अक्टूबर 2025 के हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में रिम्स और राज्य Government द्वारा दाखिल शपथ पत्रों की बिंदुवार समीक्षा करे और एक टेबलर चार्ट के रूप में अपना प्रतिउत्तर जमा करे.

कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट होना चाहिए कि शपथ पत्रों में रिम्स की व्यवस्था में जिन सुधारों का दावा किया गया है, उनका वास्तविक अनुपालन किस हद तक हुआ है.

मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद मामले की अगली तारीख 3 दिसंबर निर्धारित की है.

रिम्स की खराब स्थिति को लेकर कोर्ट लगातार चिंता जताता रहा है. Jharkhand का सबसे बड़ा मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल वर्षों से स्टाफ की कमी, जर्जर बुनियादी ढांचे, उपकरणों की अनुपलब्धता और प्रशासनिक लापरवाही के आरोपों से जूझ रहा है. मरीजों की शिकायतें और मीडिया रिपोर्टें भी बार-बार अस्पताल की कमजोर व्यवस्था को उजागर करती रही हैं.

रिम्स को लेकर स्वतः संज्ञान के साथ-साथ सामाजिक कार्यकर्ता ज्योति शर्मा की ओर से भी एक अलग जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें डॉक्टर, नर्स, तकनीशियन और ग्रुप-डी कर्मचारियों की भारी कमी दूर करने, आवश्यक मशीनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने तथा समग्र स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार की मांग उठाई गई है.

एसएनसी/एबीएम