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नोएडा, 20 नवंबर . कांग्रेस नेता राहुल गांधी को 272 रिटायर्ड जजों और ब्यूरोक्रेट्स की चिट्ठी पर उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने कहा है कि बहुत आक्रोश में वरिष्ठ नागरिकों ने यह पत्र लिखा है. पत्र इसलिए लिखा गया क्योंकि हमारी संवैधानिक संस्थाओं चुनाव आयोग, फौज, न्यायालय समेत तमाम व्यवस्थाओं पर प्रश्नचिन्ह लगाने का कोई औचित्य नहीं है.
उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने से बातचीत में कहा है कि प्रश्नचिन्ह लगाने के बाद जब उन्हें शपथ पत्र देने का अवसर दिया जाता है तो वहां पर कोई जवाब नहीं आता. इससे यह आभास होता है कि आप सिर्फ आरोप लगाते हैं. अगर आपके आरोपों में सच्चाई होती, आपके हाइड्रोजन बम या एटम बम में सामर्थ्य होता तो आप शपथ पत्र जरूर प्रस्तुत करते.
उन्होंने कहा कि देश आपका अनर्गल प्रलाप देख रहा है और यह नई-नई ऊंचाइयां प्राप्त कर रहा है. बेहतर होगा कि जमीन पर काम किया जाए. लोगों के दुःख में शामिल हुआ जाए. चरमपंथी लोगों की निंदा की जाए. जाति पर बात नहीं की जानी चाहिए कि कहां कितने सवर्ण हैं और कितने अनुसूचित जाति के हैं. सब एक हैं और India में सबका विशेष स्थान है. सबका ख्याल रखने के लिए बाबा साहेब अंबेडकर ने अच्छी व्यवस्था की है.
विक्रम सिंह ने कहा कि जातीयता का फूट नहीं डालना चाहिए. सबकुछ कहने के बाद भी जनता ने आपको बुरी तरह नकार दिया है. आपकी बातों में सफेद झूठ दिखाई पड़ रहा है. जाति के आधार पर हमारी फौज और न्यायालय को, चुनाव आयोग के अधिकारियों को धमकाने का कोई औचित्य नहीं है. आपके पद को यह शोभा नहीं देता.
इसके पहले जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी एसपी. वैद ने कहा कि हम चाहते हैं कि विपक्ष एक मजबूत भूमिका निभाए, लेकिन विपक्ष के नेता को संवैधानिक संस्थाओं को निशाना बनाना और देश के खिलाफ बोलना शोभा नहीं देता. पहले राहुल गांधी भारतीय सुरक्षा बलों को निशाना बनाते थे. सुरक्षा बल आपके भी हैं, सिर्फ Government के नहीं. उनकी आलोचना करना मतलब देश की आलोचना करना है.
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एएमटी/एबीएम