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Bhopal , 18 नवंबर . Madhya Pradesh की धार्मिक नगरी उज्जैन में सिंहस्थ की तैयारियों के लिए Government ने लैंड पूलिंग एक्ट लाया था, जिसे Chief Minister मोहन यादव ने किसानों के विरोध के चलते निरस्त कर दिया है. Government के इस फैसले को कांग्रेस किसानों की जीत बता रही है. कांग्रेस के तमाम नेताओं ने Government के फैसले को किसानों के दबाव में लिया गया फैसला बताया है.
तराना विधायक महेश परमार ने कहा कि उज्जैन क्षेत्र के लगभग 19 गांवों के किसानों की जमीन को Government लैंड पूलिंग एक्ट के माध्यम से बिना उचित मुआवजा दिए, बिना उनकी सहमति के हड़पना चाहती थी. यह किसानों पर थोपे गए काले कानून से कम नहीं था. परमार ने मांग की है कि Chief Minister स्पष्ट करें कि क्या पूरे Madhya Pradesh में लैंड पूलिंग एक्ट पूर्णतः समाप्त किया जाएगा? क्या मनमोहन सिंह की Government और राहुल गांधी द्वारा किसानों के लिए बनाया गया चार गुना मुआवजे का प्रावधान पुनः लागू किया जाएगा, ताकि किसानों की जमीन लेने पर उन्हें न्यायपूर्ण मुआवजा मिल सके.
उपाध्यक्ष (संगठन) एवं पूर्व मंत्री सुखदेव पांसे ने कहा कि वर्तमान Government पहले से ही शराब माफिया और रेत माफिया की Government के रूप में जानी जाती है. अब वही Government महाकाल की पवित्र नगरी उज्जैन और आसपास के किसानों के साथ घोर अन्याय कर रही थी.
वहीं, Madhya Pradesh में कमलनाथ की कांग्रेस Government ने किसानों का 2 लाख रुपए तक का कर्ज माफ करने का निर्णय लिया था, जिसमें 1 लाख तक के चालू खाते और 2 लाख तक के डिफॉल्टर खाते शामिल थे. मनमोहन सिंह Government ने किसानों के लिए जमीन अधिग्रहण पर चार गुना मुआवजे का प्रावधान किया था, जिसे बाद में भाजपा की Government ने बदलकर उद्योगपतियों के पक्ष में और किसानों के खिलाफ कर दिया.
उज्जैन शहर कांग्रेस अध्यक्ष मुकेश भाटी ने आरोप लगाया कि Government ने आधी रात को किसानों को घरों से उठाकर डराने-धमकाने की कोशिश की. माताओं, बहनों और किसानों ने डटकर मुकाबला किया. महाकाल की नगरी को छावनी में बदल दिया गया था. किसानों की वेशभूषा में आने वाले लोगों तक को महाकाल के दर्शन से रोका गया. उसके बाद भी किसान अपने इरादे से पीछे नहीं हटे. परिणाम स्वरुप Government को एक्ट निरस्त करना पड़ा.
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एसएनपी/डीकेपी