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New Delhi, 18 नवंबर . अमेरिकी एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के कैलेंडर में 19 नवंबर एक ऐसा दिन है जो उद्योग की चमकदार दुनिया के पीछे छिपी मानवीय कमजोरी और गहरे तनाव की दो अलग-अलग लेकिन समानांतर कहानियों की याद दिलाता है. इस दिन दो पीढ़ियों की कलाकार—डायने वार्सी (मृत्यु: 19 नवंबर 1992) और डेला रीज (मृत्यु: 19 नवंबर 2017) दुनिया से चली गईं. दोनों की मृत्यु के बीच 25 साल का अंतर है, लेकिन उनकी जिंदगी और संघर्षों में मौजूद समानताएं हॉलीवुड की संरचना पर गंभीर सवाल उठाती हैं.
डायने वार्सी, 1957 की फिल्म पेटॉन प्लेस से रातोंरात स्टार बनीं, मात्र 18 वर्ष की आयु में ऑस्कर-नॉमिनेशन पाने वाली सबसे तेज उभरती प्रतिभाओं में से एक थीं. लेकिन शुरुआती सफलता ही उनकी सबसे बड़ी चुनौती बनी. इंडस्ट्री के तेज रफ्तार कामकाज, स्टूडियो दबाव और सार्वजनिक छवि बनाए रखने की उम्मीदों ने उन्हें मानसिक रूप से अस्थिर कर दिया.
फिल्म सेट पर घबराहट के दौरे, प्रचार अभियानों से तनाव और निजी असुरक्षा ये सब कुछ इतना बढ़ गया कि उन्होंने कुछ ही वर्षों में हॉलीवुड छोड़ने का निर्णय ले लिया. डायने वार्सी ने बाद में एक बयान दिया जो उनकी मनस्थिति को बयां करता है. उन्होंने कहा: “हॉलीवुड डिस्ट्राय्स जेंटिल पीपल (हॉलीवुड सौम्य लोगों को खत्म कर देता है).”
उनका करियर कुछ लौटने की कोशिशों के बावजूद स्थिर नहीं हो पाया. अंततः 19 नवंबर 1992 को 54 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया. उनकी मौत उतनी ही शांत थी जितनी चुपचाप उनके करियर का पतन.
दूसरी ओर, डेली रीज एक पूरी तरह अलग पृष्ठभूमि से आईं, लेकिन संघर्षों ने उनके करियर को उतना ही प्रभावित किया. गरीब परिवार में जन्मी रीज पहले एक सफल गायिका के रूप में उभरीं, फिर अमेरिकन टेलीविजन का प्रतिष्ठित चेहरा बनीं. उनकी लोकप्रियता का चरम ‘टच्ड बाय एन एंजिल’ (1994–2003) से आया. लेकिन स्क्रीन पर दिखाई देने वाली शांति और आध्यात्मिकता के पीछे वे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही थीं.
टाइप-2 डायबिटीज ने उन्हें बार-बार अस्पताल पहुंचाया. इससे भी बड़ा सदमा 16 वर्षीय बेटी डेलोरीज डेनियल्स की अचानक मौत थी—एक घटना जिसने रीज को निजी तौर पर अस्थिर किया, हालांकि उन्होंने इसे सार्वजनिक छवि पर हावी नहीं होने दिया.
19 नवंबर 2017 को 86 वर्ष की आयु में उनका निधन ऐसे समय हुआ जब वे उद्योग में सम्मानित वरिष्ठ कलाकार बनी हुई थीं.
दोनों कहानियां अलग दिशाओं से चलकर एक ही निष्कर्ष पर पहुंचीं. हॉलीवुड की चमक सिर्फ उपलब्धियों की नहीं, बल्कि अदृश्य दबावों, लगातार काम की मांग, मानसिक और शारीरिक थकावट और व्यक्तिगत त्रासदियों की भी कहानी है. दोनों की कहानियां अलग थीं, लेकिन दर्द एक जैसा. डेला ने अपनी बेटी खोई तो डायने ने खुद को खोया, डेला बीमारी से जूझीं तो डायने शोहरत की चुभन झेल नहीं पाईं.
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केआर/