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New Delhi, 18 नवंबर . विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 18 नवंबर से लेकर 24 नवंबर तक विश्व भर में एंटीबायोटिक अवयेरनेस वीक मनाया जा रहा है.
एंटीबायोटिक अवेयरनेस वीक मनाने का उद्देश्य लोगों को एंटीबायोटिक के प्रयोग, नुकसान और फायदों के बारे में जागरूक करना है, साथ ही ये भी बताना है कि कैसे एंटीबायोटिक का सही इस्तेमाल करके इसे प्रभावी बनाया जा सकता है.
एंटीबायोटिक अवेयरनेस वीक पर सीनियर मेडिकल ऑफिसर और गाइनेकोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. मीरा पाठक ने इससे जुड़े मिथकों और सावधानियों पर बात की है और सही उपयोग के बारे में खुलकर बात की है.
एंटीबायोटिक क्या है और किस स्थिति में इन्हें लेना चाहिए, इस पर बात करते हुए डॉ. मीरा पाठक ने कहा कि एंटीबायोटिक तब दी जाती है जब शरीर में बैक्टीरियल इंफेक्शन हो जाता है, जैसे 100 डिग्री से ज्यादा बुखार, लगातार तीन दिन या उससे ज्यादा बुखार बने रहना, सांस लेने में परेशानी होना, गले में सूजन या निकलने में दर्द होना, गले से 10 दिन तक लगातार कफ आना और कान में दर्द होना.
डॉ. मीरा पाठक ने आगे बताया कि शरीर की चोटों को भरने और पेशाब में जलन जैसी समस्याओं में भी एंटीबायोटिक दी जाती है, लेकिन उनका सेवन डॉक्टर की सलाह के बाद ही करना चाहिए, क्योंकि हर एंटीबायोटिक हर परेशानी में एक जैसा काम नहीं करती है. लोगों के अंदर ये मिथक बना रहता है कि एंटीबायोटिक हर बीमारी में काम करती है, लेकिन ऐसा नहीं है.
किन कंडीशन में एंटीबायोटिक का सेवन नहीं करना चाहिए, इस पर जानकारी देते हुए डॉ. मीरा पाठक ने बताया कि वायरल फीवर, सर्दी-जुकाम, फ्लू, डायरिया की समस्या होना, और शरीर में थकान होने पर बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये वायरल इंफेक्शन के लक्षण होते हैं, ना कि बैक्टीरियल इंफेक्शन के. बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक का सेवन या एंटीबायोटिक के कोर्स को पूरा ना करना नुकसानदेह होता है.
डॉ. मीरा पाठक ने बताया कि ऐसा करने पर शरीर में बीमारी फैला रहे बैक्टीरिया पर दवा का असर होना कम हो जाता है और जब अगली बार बुखार होता है तो एंटीबायोटिक की ज्यादा खुराक मरीज को देनी पड़ती है. इसके अलावा, पेट में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है. ऐसे में हर छोटा संक्रमण शरीर को बीमार कर देता है.
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पीएस/एएस