बिहार: नालंदा विश्वविद्यालय में ‘राजा ऋषभदेव की परंपरा: संस्कृति एवं सभ्यता के निर्माता’ विषय पर सेमिनार

राजगीर, 17 नवंबर . बिहार के राजगीर स्थित नालंदा विश्वविद्यालय में Monday को ‘राजा ऋषभदेव की परंपरा: संस्कृति एवं सभ्यता के निर्माता’ विषय पर बौद्धिक रूप से समृद्ध एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया. उद्घाटन सत्र में कुलपति सचिन चतुर्वेदी ने राजा ऋषभदेव को विश्व के प्रथम दार्शनिक के रूप में रेखांकित करते हुए उनके नैतिक, सामाजिक और ज्ञान-परंपराओं की दिशा में दिए गए अग्रणी योगदान पर अपने वक्तव्य को साझा किया.

सेमिनार के उद्घाटन विशिष्ट सत्र में नालंदा विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ हिस्टोरिकल स्टडीज़ के डीन प्रो. अभय कुमार सिंह, लब्धि विक्रम जन सेवा ट्रस्ट के जैनेश शाह और मुख्य वक्ता के रूप में एल एन मिश्र मिथिला विश्वविद्यालय के बीके तिवारी शामिल हुए. पहला शैक्षिक सत्र राजा ऋषभदेव की ऐतिहासिक और सभ्यतागत महत्ता पर केंद्रित रहा, जिसमें डॉ. लता बोथारा, डॉ. प्रांशु समदर्शी, प्रो. अभय कुमार सिंह और डॉ. तोसाबंता पधान ने उनके बहुआयामी योगदान पर रोशनी डाली.

इसके उपरांत आयोजित सत्र में प्रो. वीनस जैन, डॉ. सेजल शाह और डॉ. आज़ाद हिंद गुलशन नंदा ने भारतीय शास्त्रों में समाज संरचना और शासन के प्रारंभिक स्वरूपों का विश्लेषण प्रस्तुत करते हुए संस्थाओं, परंपराओं तथा सांस्कृतिक स्मृति के विकास में ऋषभदेव की महत्वपूर्ण भूमिका पर अपने विचार व्यक्त किए.

तृतीय एवं अंतिम सत्र में वरुण जैन, अर्पित शाह, और श्रेयांश जैन ने नैतिक मूल्यों, तीर्थ-परंपराओं, और संस्थागत नैतिकताओं की उत्पत्ति पर अपने दृष्टिकोण साझा किए. सम्मेलन का औपचारिक समापन विश्वविद्यालय के एसबीएसपीसीआर के डीन प्रो. गोदाबरीश मिश्रा की अध्यक्षता में वैलेडिक्टरी सत्र के साथ हुआ. इस अवसर पर वीरायतन, राजगीर के उपाध्याय यस ने प्रेरक समापन संबोधन दिया. नालंदा विश्वविद्यालय जैन परंपरा, दर्शन, और इतिहास पर अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयत्नशील है.

एमएनपी/डीकेपी