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New Delhi, 17 नवंबर . Supreme court ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण के मामले पर केंद्र Government से एक विस्तृत प्लान दाखिल करने को कहा है. Monday की सुनवाई में कोर्ट ने निर्देश दिए कि प्रदूषण से निपटने के लिए केंद्र Government लंबी अवधि की रणनीति बनाए.
India के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई, न्यायमूर्ति विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ इस मामले में सुनवाई कर रही है. Monday को पीठ ने निर्माण कार्य पर पूरी तरह रोक लगाने से इनकार किया और कहा कि बैन से मजदूरों की आजीविका प्रभावित होगी.
कोर्ट ने टिप्पणी की कि पर्यावरण और विकास का संतुलन जरूरी है. सिर्फ एक पक्ष को देखकर आदेश नहीं दे सकते हैं. वह दिल्ली में तेजी से बढ़ते प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने के लिए ‘कठोर निर्देश’ जारी करने के लिए इच्छुक नहीं है. Supreme court ने यह भी कहा कि ये मामला अस्थायी समाधान से नहीं सुलझेगा. केंद्र को इस समस्या से निपटने के लिए दीर्घकालिक समाधान तैयार करने होंगे.
सुनवाई के दौरान पराली का विषय भी सामने आया. इस पर न्यायमित्र और वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने कोर्ट में अपना पक्ष रखा. कोर्ट ने कहा, “जब न्यायमित्र कहते हैं कि प्रदूषण सबसे ज्यादा है, लेकिन पराली जलाने में कमी आई है, तो क्या इसके और कारण हो सकते हैं? पराली जलाने की घटनाएं कम हुईं तो प्रदूषण क्यों बढ़ा?”
कोर्ट ने केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के साथ-साथ पंजाब, उत्तर प्रदेश, Rajasthan और Haryana Governmentों से ठोस कार्रवाई करने का आह्वान किया. इस मामले की अगली सुनवाई 19 नवंबर को होगी.
बता दें कि पिछले कई हफ्तों से दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता लगातार बिगड़ी है. Monday को दिल्ली का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स 360 रहा. छह जगहों पर यह 400 से ऊपर दर्ज किया गया, जो गंभीर श्रेणी में आता है.
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डीसीएच/