![]()
Lucknow, 16 नवंबर . Lucknow में चल रहे उत्तराखंड महोत्सव में Chief Minister योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत Sunday की शाम को शामिल हुए. इस अवसर पर Chief Minister योगी आदित्यनाथ ने इस बात पर विशेष रूप से बल दिया कि संकट के दौरान यही लोकगीत कला व लोकगीत ही इतिहास को संरक्षित करते हैं.
उन्होंने कहा कि India के कई गौरवशाली क्षण हैं, जिन्हें विदेशी इतिहासकारों ने शरारतन India के गौरवशाली इतिहास के साथ नहीं जोड़ा. ऐसे में, India के गौरव व गरिमा से जुड़े हुए पन्नों को सहेजने का काम लोकगायन व परंपरा के माध्यम से हमें सुनने देखने को प्राप्त होता है. Chief Minister योगी आदित्यनाथ ने Sunday को Lucknow में आयोजित 10 दिवसीय ऐतिहासिक ‘उत्तराखंड महोत्सव 2025’ में लोक संस्कृति के संरक्षण का आह्वान किया.
सीएम योगी ने कहा कि मां गंगा, यमुना, सरयू व शारदा जैसी नदियां देवभूमि के पावन क्षेत्र से होकर उत्तर प्रदेश की भूमि को उपजाऊ करते हुए यहां की धरती से सोना उगलने वाली धरती के रूप में परिवर्तित करने का कार्य करती हैं. उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा के लिए अपनी जवानी लगाने वाला उत्तराखंड का नौजवान और अमृत तुल्य जल देने वाली पवित्र नदियां उत्तराखंड से ही आती हैं.
उन्होंने लोककला व संस्कृति के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि वास्तव में यह महोत्सव हमारी लोककला व संस्कृति को जीवंत बनाए रखने का एक माध्यम है. अगर हम इस प्रकार के महोत्सव न मनाएं तो बहुत से लोग आज की आपाधापी में अपनी संस्कृति से विमुख हो जाएंगे. उन्हें लोककला, लोकगायन, और लोकसंस्कृति का पता ही नहीं होगा.
Chief Minister योगी ने कहा कि हमें अपनी लोकसंस्कृति को लेकर गर्व की अनुभूति होनी चाहिए और उसे संरक्षित करते हुए एक प्लैटफॉर्म भी देना चाहिए और यही एक India श्रेष्ठ India का Prime Minister मोदी का भाव है. उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय स्तर पर इसे आगे बढ़ाने का कार्य केंद्रीय पर्यटन व संस्कृति मंत्री गजेंद्र शेखावत कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा और देश के प्रत्येक क्षेत्र में उत्तराखंड का नागरिक जब काम करता है तो अपनी अटूट देशभक्ति के कारण वह अपने आप को वहां की स्थानीय संस्कृति के साथ समरस करने में देर नहीं लगाता है. उन्होंने कहा कि आज का ये समारोह भी अवधी संस्कृति और उत्तराखंड की संस्कृति के बेहतर समन्वय का ही परिणाम है. उत्तराखंड महोत्सव में एक ओर अवध के श्रीराम तो दूसरी ओर उत्तराखंड के बद्री विशाल व चारों धाम जुड़कर महोत्सव को एक नई ऊंचाई तक पहुंचाने में अपना योगदान देते हैं.
सीएम योगी ने कहा कि ये हम सबका सौभाग्य है कि आज का उत्तराखंड 9 नवंबर सन् 2000 को श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी के कारण बना. लेकिन, उत्तर प्रदेश के विकास के लिए भी उसी प्रतिबद्धता के साथ स्थापना काल से ही योगदान देने में जब नाम लिया जाता है तो उत्तर प्रदेश के पहले Chief Minister पंडित गोविंद वल्लभ पंत प्रमुख हैं. उन्होंने लंबे समय तक उत्तर प्रदेश के Chief Minister तथा स्वतंत्रता सेनानी के रूप में अपनी सेवाएं पहले देश की स्वाधीनता के लिए दीं. वहीं, स्वतंत्र India में उत्तर प्रदेश के Chief Minister के रूप में उन्होंने उत्तर प्रदेश के विकास के लिए जो कार्ययोजना सुनिश्चित की, उसी की नींव पर भावी उत्तर प्रदेश का निर्माण करने में सफलता प्राप्त की गई.
उन्होंने कहा कि ये उत्तर प्रदेश और देश का गौरव है कि उसी उत्तराखंड ने हेमवती नंदन बहुगुणा व नारायण दत्त तिवारी को जन्म दिया, जिन्होंने लंबे समय तक उत्तर प्रदेश व देश के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य किया. देश के स्वाधीनता आंदोलन में वीर चंद्र सिंह गढ़वाली का स्मरण हर देशभक्त करता है. उत्तराखंड बनने के बाद उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी को अन्य शहर में स्थापित करके वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की गई.
Chief Minister योगी ने आगे कहा कि ये उत्तराखंड की ही देन है कि India की रक्षा सेनाओं की एकीकृत विंग के कमांडर इन चीफ के रूप में देश के पहले सीडीएस जनरल विपिन रावत भी उत्तराखंड की पावन भूमि की देन हैं. उन्होंने कहा कि द्वितीय सीडीएस भी उत्तराखंड की देन हैं. हमने भक्ति और शक्ति का समन्वय उसी प्रकार से किया है जिस प्रकार Rajasthan की धरती ने कर दिखाया है.
उन्होंने आगे कहा कि यह प्रसन्नता का विषय है कि महापरिषद प्रतिवर्ष उत्तराखंड गौरव सम्मान से कुछ विभूतियों को सम्मानित करती है.
इसी क्रम में डॉ. सुरेश चन्द्र फुलारा (स्वदेशी उत्पाद एवं आजीविका के क्षेत्र में), President पुरस्कार से अलंकृत डॉ. मंजू बाला (शिक्षा के क्षेत्र में), डॉ. चन्द्र मोहन नौटियाल (विज्ञान के क्षेत्र में), और प्रो. दीवान एस. रावत (रसायन विज्ञान एवं अनुसन्धान के क्षेत्र में) को सम्मानित करने के निर्णय पर सीएम योगी ने प्रसन्नता व्यक्त की.
उन्होंने कहा कि जब इस प्रकार की संस्थाएं देश, समाज व संस्कृति के लिए कार्य करती हैं तो संस्थाएं स्वयं भी सम्मानित होती हैं. उन्होंने कहा कि हमें अच्छे लोककला व परंपरा के लिए समर्पित कलाकारों को सम्मानित करना चाहिए जो नए तरीके से पुराने वाद्यों को पुनर्जीवित करते हुए आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं.
–
विकेटी/डीकेपी