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New Delhi, 14 नवंबर . भाकपा (माले) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे बेहद अस्वाभाविक हैं. इसमें ‘एसआईआर’ के दाग साफ दिखाई दे रहे हैं.
उन्होंने कहा कि यह पंद्रह साल बाद 2010 के नतीजों की पुनरावृत्ति है, लेकिन ऐसे समय जब नीतीश कुमार Government की विश्वसनीयता अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है और मोदी Government को भी एक साल पहले ही भारी जनसमर्थन का नुकसान उठाना पड़ा, ऐसे में चुनाव परिणाम अविश्वसनीय है. हम नतीजों का गहन विश्लेषण करेंगे और जरूरी सबक सीखेंगे.
भाकपा (माले) ने इन चुनावों में पालीगंज और काराकाट, दो सीटें जीतीं, और अगिआंव (सु) सीट पर 95 वोटों के मामूली अंतर से हार गई. तीन अन्य सीटों, बलरामपुर, डुमरांव, और जीरादेई, पर हार का अंतर 3,000 से कम रहा. पार्टी का वोट शेयर लगभग 3 प्रतिशत रहा.
उन्होंने कहा कि हम बिहार की जनता का आभार व्यक्त करते हैं, जिन्होंने हमारी पार्टी और India गठबंधन के अन्य सहयोगियों को वोट दिया है, और जनता की सेवा करने, उनके अधिकारों की रक्षा करने, और नई ऊर्जा व दृढ़ संकल्प के साथ India में लोकतंत्र के संवैधानिक आधार की रक्षा करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं.
वहीं, दूसरी तरफ Samajwadi Party के सांसद जिया उर रहमान बर्क ने चुनाव आयोग पर एनडीए को जिताने का आरोप लगाया है.
सांसद जिया उर रहमान बर्क ने समाचार एजेंसी से बात करते हुए कहा कि बिहार में एनडीए की Government बनने में सबसे ज्यादा रोल चुनाव आयोग का है, क्योंकि उसने चुनाव के समय एसआईआर लाकर एनडीए की सहायता कर दी है. इसकी वजह से बिहार की पूरी जनता अपने वोट का इस्तेमाल नहीं कर पाई, और एनडीए को इसका सबसे ज्यादा फायदा हुआ.
उन्होंने कहा कि हर विधानसभा में 10 से 15 हजार लोगों के नाम एसआईआर के नाम पर काट दिए गए हैं, जिससे लोग मतदान नहीं कर पाए और इतनी संख्या विधानसभा चुनाव में मायने रखती है. चुनाव आयोग ने जिस तरह से एनडीए का साथ दिया है, उससे पता चलता है कि बिहार में चुनाव कैसे जीता गया है.
सांसद जिया उर रहमान बर्क ने कहा कि मैं सभी पार्टियों से यहीं कहना चाहता हूं कि सभी लोग हार की समीक्षा करें जिससे पता चल सके कि कैसे और कहां गलती होने की वजह से बिहार चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. मैं जनता से यहीं अपील करता हूं कि इसके बाद एसआईआर के माध्यम से किसी का नाम न काटा जाए और इसका फायदा भाजपा को न मिल पाए.
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एमएस/डीकेपी