झारखंड के 25 साल, सियासी उतार-चढ़ाव और विरोधाभासों के बावजूद अंगड़ाई ले रहे नए सपने

रांची, 14 नवंबर (आईएएनस). 15 नवंबर 2025 को Jharkhand राज्य गठन के 25 वर्ष पूरे हो रहे हैं. वर्ष 2000 में जब यह राज्य बिहार से अलग होकर अस्तित्व में आया, तब 2.25 करोड़ की आबादी की आंखों में नए विकास, बेहतर शासन और पहचान की आकांक्षा थी. दो दशकों बाद Jharkhand की यात्रा उपलब्धियों, संघर्षों, Political उतार-चढ़ाव और नई आकांक्षाओं की मिश्रित कहानी पेश करती है.

राज्य गठन के शुरुआती 15 वर्षों में Political अस्थिरता Jharkhand के विकास में सबसे बड़ी बाधा बनी रही. 2000 से 2014 के बीच राज्य ने 10 Chief Minister बदलते देखे और कुल मिलाकर 25 वर्ष में अब तक 14 लोग इस पद पर बैठे. Governmentें गिरती रहीं, गठबंधन टूटते रहे और विकास योजनाओं का संतुलित प्रवाह नहीं बन सका.

2014 में पहली बार स्थिरता आई जब भाजपा के रघुवर दास के नेतृत्व वाली Government ने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया. 2019 से राज्य में झामुमो के नेतृत्व में Government चल रही है. कह सकते हैं कि 2014 से राज्य की सत्ता में स्थिरता आई तो विकास के विभिन्न सूचकांकों पर राज्य ने आगे कदम बढ़ाना शुरू किया है.

विशेषज्ञों का मानना है कि देश की 40 प्रतिशत खनिज संपदा वाले इस राज्य में जिस रफ्तार से विकास के आयाम स्थापित होने चाहिए थे, वह भले हो नहीं पाया, लेकिन नीतियों और योजनाओं को अब भी धरातल पर उतारने के प्रयास जारी रहें तो आने वाले वर्षों में इसकी तकदीर और तस्वीर बदल सकती है.

रघुवर दास के मुख्यमंत्रित्व काल में राज्य में मेडिकल कॉलेजों की संख्या तीन से बढ़कर छह हो गई थी. तीन नए विश्वविद्यालय भी गठित हुए. वर्ष 2019 में केंद्र की Narendra Modi Government ने देवघर में एम्स की स्थापना की. राज्य में चार और नए मेडिकल कॉलेज खोलने की तैयारी चल रही है. पिछले पांच वर्षों में Jharkhand की राजधानी रांची को पूर्वी India का नया हेल्थ हब बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं.

शिक्षा के क्षेत्र में भी Jharkhand ने अपनी गति तेज की है. एनएलयू, आईआईएम, ट्रिपल आईटी जैसे उच्चस्तरीय संस्थान खुले. आने वाले वर्षों में सात नई यूनिवर्सिटी और 10 तकनीकी संस्थानों की स्थापना की योजना है. रांची में विकसित हो रहा रांची विश्वविद्यालय का नया 87 एकड़ का कैंपस 20 हजार से अधिक छात्रों को सीधे लाभ देगा. गिरिडीह की जेसी बोस यूनिवर्सिटी, साहिबगंज, देवघर, खूंटी, गुमला और जमशेदपुर में प्रस्तावित यूनिवर्सिटी उच्च शिक्षा को विकेंद्रीकृत करेंगी. दिव्यांग यूनिवर्सिटी पूर्वी India की पहली विशेष शिक्षण संस्था होगी, जो दिव्यांग युवाओं को उच्च शिक्षा में नए अवसर देगी.

मौजूदा समय में Jharkhand सड़क संरचना का भी बड़ा विस्तार कर रहा है. राज्य गठन के समय जहां केवल 5,400 किमी सड़कें थीं, आज यह लंबाई बढ़कर लगभग 14,879 किमी हो गई है. भारतमाला परियोजना के तहत धनबाद-रायपुर और संबलपुर-रांची कॉरिडोर राज्य को साहिबगंज और पारादीप बंदरगाह से सीधी कनेक्टिविटी देगा. साहिबगंज में गंगा पर पुल, रांची आउटर रिंग रोड, देवघर बाइपास और कोलकाता-वाराणसी ग्रीनफील्ड कॉरिडोर जैसे प्रोजेक्टों के अगले दो-तीन वर्षों में पूरा होने की संभावना है.

ऊर्जा के क्षेत्र में Jharkhand ने उल्लेखनीय प्रगति की है. 2000 में राज्य पूरी तरह बाहरी बिजली पर निर्भर था, लेकिन पतरातू थर्मल प्लांट के नवीनीकरण और नए सोलर प्रोजेक्ट्स के बाद 2030 तक राज्य बिजली आपूर्ति के मामले में पूरी तरह आत्मनिर्भर हो जाएगा. स्मार्ट मीटरिंग, अंडरग्राउंड केबलिंग और नए सबस्टेशन से वितरण प्रणाली भी मजबूत हो रही है.

कृषि और पशुपालन क्षेत्र में Jharkhand ने बड़ी छलांग लगाई है. धान का उत्पादन 32 लाख टन से बढ़कर 44 लाख टन हो चुका है. दलहन का रकबा और उत्पादन दोनों बढ़े हैं. लाह उत्पादन में Jharkhand देश में पहले स्थान पर है. फिशरी सेक्टर में 4.1 लाख मीट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. दूध उत्पादन प्रतिदिन 60 लाख लीटर हो चुका है, जबकि रांची में 80 करोड़ की लागत से पहला मिल्क पाउडर प्लांट तैयार हो रहा है.

पेयजल और सिंचाई के क्षेत्र में भी राज्य ने उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया है. वर्ष 2000 में रांची के केवल 21 हजार घरों तक ही पाइपलाइन से पानी पहुंचता था, जो अब 70 हजार से अधिक हो गया है. ग्रामीण क्षेत्रों में 34 लाख से अधिक घरों को नलजल योजना से जोड़ा गया है. सिंचाई का दायरा 8.6% से बढ़कर 10.06 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है.

अगर नीतियां और योजनाएं ईमानदारी से धरातल पर उतरीं तो आने वाले दशक में राज्य पूर्वी India की सबसे उभरती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो सकता है.

एसएनसी/एबीएम