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New Delhi, 13 नवंबर . Enforcement Directorate (ईडी) ने Thursday को जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड के पूर्व सीएमडी मनोज गौर को घर खरीदारों के पैसे के दुरुपयोग और नोएडा के आसपास की परियोजनाओं में देरी से जुड़े धन शोधन के एक मामले में गिरफ्तार किया. यह जानकारी एक अधिकारी ने दी है.
मेसर्स जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी गौर को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 की धारा 19 के तहत गिरफ्तार किया गया.
ईडी की जांच में मिला कि जेएएल और जेआईएल की ओर से घर खरीदारों से एकत्र किए गए लगभग 14,599 करोड़ रुपए में से बड़ी राशि गैर-निर्माण उद्देश्यों के लिए डायवर्ट की गई थी.
ईडी ने जेपी विशटाउन और जेपी ग्रीन्स परियोजनाओं के घर खरीदारों द्वारा दर्ज की गई शिकायतों के आधार पर दिल्ली और उत्तर प्रदेश Police की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा दर्ज कई First Information Report के आधार पर जेपी समूह के खिलाफ जांच शुरू की. इन शिकायतों में कंपनी और उसके प्रमोटरों के खिलाफ आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और विश्वासघात का आरोप लगाया गया था.
ईडी ने एक बयान में कहा कि आवासीय परियोजनाओं के निर्माण और पूरा होने के लिए हजारों घर खरीदारों से एकत्रित धन को निर्माण के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए डायवर्ट किया गया, जिससे घर खरीदारों को धोखा मिला और उनकी परियोजनाएं अधूरी रह गईं.
यह धन जेपी सेवा संस्थान (जेएसएस), मेसर्स जेपी हेल्थकेयर लिमिटेड (जेएचएल) और मेसर्स जेपी स्पोर्ट्स इंटरनेशनल लिमिटेड (जेएसआईएल) सहित संबंधित समूह संस्थाओं और ट्रस्टों में स्थानांतरित कर दिया गया.
Enforcement Directorate ने 23 मई को मनोज गौर की प्रमुख रियल एस्टेट विकास कंपनियों जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड और जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड और उनकी सहयोगी संस्थाओं से जुड़े 15 परिसरों की तलाशी ली थी.
तलाशी दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद और Mumbai में ली गई, जिनमें मेसर्स जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड और मेसर्स जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड के कार्यालय और परिसर शामिल थे. तलाशी के दौरान, ईडी ने बड़ी मात्रा में वित्तीय और डिजिटल रिकॉर्ड, साथ ही धन शोधन और धन के हेराफेरी के अपराध के साक्ष्य वाले दस्तावेज जब्त किए.
कार्रवाई के दौरान, अधिकारियों ने 1.7 करोड़ रुपए की नकदी, वित्तीय रिकॉर्ड, डिजिटल डेटा और प्रमोटरों, उनके परिवार के सदस्यों और समूह की कंपनियों के नाम पर पंजीकृत संपत्ति के दस्तावेज जब्त किए.
जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड (जेआईएल) द्वारा 526 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान न करने के बाद, आईडीबीआई बैंक ने सबसे पहले राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी), इलाहाबाद में जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड के खिलाफ याचिका दायर की थी. एनसीएलटी ने 9 अगस्त, 2017 को दिवालियेपन प्रक्रिया शुरू की.
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एसएके/एबीएम