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New Delhi, 13 नवंबर . Union Minister प्रह्लाद जोशी ने कर्नाटक के Chief Minister सिद्धारमैया को पत्र लिखकर राज्य में गन्ना किसानों की स्थिति पर चिंता जताई है और राज्य Government पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि Chief Minister की चिंता भले ही सराहनीय है, लेकिन उनके बयान जमीनी हकीकत और केंद्र Government द्वारा किसानों के हित में किए गए ऐतिहासिक सुधारों की अनदेखी करते हैं.
जोशी ने कहा कि केंद्र Government ने वर्ष 2025-26 के लिए गन्ने का निष्पक्ष और लाभप्रद मूल्य (एफआरपी) 355 रुपए प्रति क्विंटल (10.25 फीसदी रिकवरी दर पर) तय किया है, जो उत्पादन लागत से 105 फीसदी अधिक मार्जिन प्रदान करता है. यह मूल्य न्यूनतम मानक है और राज्य Government चाहे तो इससे अधिक राज्य सलाह मूल्य (एसएपी) तय कर सकती है, लेकिन कर्नाटक Government ने ऐसा नहीं किया, जिसके कारण किसानों में असंतोष है और इसका दोष अनुचित रूप से केंद्र पर मढ़ा जा रहा है.
Union Minister ने कहा कि केंद्र ने एथनॉल ब्लेंडिंग कार्यक्रम के माध्यम से चीनी उद्योग को एक स्थायी और विविध आय का स्रोत उपलब्ध कराया है. वर्ष 2013-14 से अब तक डिस्टिलरियों ने कुल 2.18 लाख करोड़ रुपए की आय अर्जित की है, जिसमें 1.29 लाख करोड़ रुपए एथनॉल की बिक्री से प्राप्त हुए हैं. इसके कारण शुगर मिलों की भुगतान क्षमता बढ़ी है और किसानों को समय पर गन्ना मूल्य मिला है.
जोशी ने कहा कि कर्नाटक इस क्षेत्र में अग्रणी बनकर उभरा है. वर्ष 2013 तक देशभर में केवल 38 करोड़ लीटर एथनॉल की आपूर्ति होती थी, जबकि वर्ष 2024-25 में कर्नाटक की डिस्टिलरियों ने अकेले 139.8 करोड़ लीटर एथनॉल की आपूर्ति की. आगामी वर्ष 2025-26 के लिए भी राज्य को 133 करोड़ लीटर का आवंटन दिया जा चुका है.
उन्होंने कहा कि 2014-15 से 2020-21 के बीच केंद्र Government ने चीनी मिलों की तरलता बढ़ाने और गन्ना बकाया भुगतान सुनिश्चित करने के लिए कई योजनाएं लागू कीं, जिनमें बफर स्टॉक, निर्यात सहायता और परिवहन लागत की भरपाई जैसी योजनाएं शामिल थीं.
Union Minister ने Chief Minister सिद्धारमैया पर आरोप लगाया कि राज्य Government ने किसानों पर बोझ कम करने के बजाय उत्पादक क्षेत्रों को आर्थिक रूप से कमजोर किया है. चीनी कारखानों के लिए जल आपूर्ति शुल्क 5 लाख रुपए से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपए कर दिया गया, बिजली पर 60 पैसे प्रति यूनिट का ऊर्जा उपकर लगाया गया और डीजल पर वैट लगभग 50 फीसदी बढ़ा दिया गया, जिससे Government को 7,000-7,500 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय हुई. इसके अलावा, शराब पर भारी कर लगाकर इस वर्ष 39 हजार करोड़ रुपए का राजस्व जुटाने का लक्ष्य रखा गया है.
उन्होंने कहा कि ईंधन कीमतों में बार-बार वृद्धि के कारण परिवहन लागत 500-550 रुपए प्रति टन से बढ़कर 750-900 रुपए प्रति टन हो गई है, जिससे किसानों पर सीधा बोझ पड़ा है. साथ ही, 2024 के मोटर वाहन कर संशोधन अधिनियम के तहत नए वाणिज्यिक वाहनों पर 3 फीसदी अतिरिक्त कर लगाने से भी किसानों की लागत बढ़ी है.
उन्होंने आरोप लगाया कि हालिया किसान आंदोलन के दौरान पहले आठ दिनों तक राज्य Government के किसी मंत्री ने किसानों से संवाद नहीं किया. वहीं, Maharashtra ने अप्रैल 2025 तक नई पावर परचेज एग्रीमेंट (पीपीए) पर हस्ताक्षर किए, लेकिन कर्नाटक ने 2017-18 के बाद एक भी नया पीपीए नहीं किया, जिससे शुगर मिलों की आमदनी और बैंक फंडिंग पर असर पड़ा.
Union Minister ने कहा कि 2023 और 2025 में बिजली दरों में दो बार बढ़ोतरी (पहले 70 पैसे और बाद में 36 पैसे प्रति यूनिट अधिभार) से कारखानों की आर्थिक स्थिति और खराब हुई है.
उन्होंने आगे कहा कि केंद्र Government की नीतियों के कारण देशभर में गन्ना बकाया ऐतिहासिक रूप से निम्न स्तर पर है, जबकि एफआरपी में लगातार वृद्धि हुई है. केंद्र Government किसानों के कल्याण, चीनी क्षेत्र की स्थिरता और दीर्घकालिक समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध है, न कि अल्पकालिक लोकलुभावन नीतियों के लिए.
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पीएसके