तनाव, पाचन और ब्लड सर्कुलेशन की परेशानी? अर्धमत्स्येन्द्रासन से पाएं संपूर्ण स्वास्थ्य और लचीला शरीर

New Delhi, 13 नवंबर . आजकल के बिजी शेड्यूल और 9-5 जॉब करने में हम इतने व्यस्त हो गए हैं कि अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता नहीं दे पाते हैं, जिससे थकान और तनाव से शरीर में कई तरह की स्वास्थ्य समस्या होने लगती है. ऐसे में योग एक ऐसा उपाय है, जिससे मानसिक शांति और स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है. इन्हीं में से एक है अर्धमत्स्येन्द्रासन. यह एक ऐसा योगासन है, जो रीढ़ की हड्डी से जुड़े दर्द और तनाव में राहत दिलाता है.

आयुष मंत्रालय के अनुसार, अर्धमत्स्येन्द्रासन करने से एड्रिनल ग्रंथि की स्थिति में सुधार होता है. साथ ही, यह कब्ज, दमा और पाचन संबंधी समस्याओं से निजात भी दिलाता है.

इस आसन को करने के लिए सबसे पहले योगा मैट बिछा लें. इसके बाद दंडासन की मुद्रा में बैठ जाएं और रीढ़ को सीधा रखते हुए अपने दाएं पैर के घुटने को मोड़ते हुए बाहर की ओर निकालें. इसके बाद बाएं पैर का तल जमीन पर पूरी तरह टिका होना चाहिए. सिर को दाईं ओर घुमाएं और कंधे की दिशा में देखें. इस दौरान सामान्य गहरी सांस लेनी चाहिए. इसको लगभग 30 सेकंड तक करने के बाद सामान्य स्थिति में ले आएं, लेकिन इस बात का ध्यान रहे कि इसे करने के दौरान ध्यान रीढ़ की हड्डी और सांस पर केंद्रित करना चाहिए.

इसके नियमित अभ्यास करने से डायबिटीज भी कंट्रोल में रहती है और लिवर, किडनी और आंतों की हल्की-सी मालिश होती है. साथ ही यह आसन पेनक्रियाज को एक्टिव करता है.

यह मांसपेशियों को लचीला बनाता है और ब्लड सर्कुलेशन भी बेहतर करता है और शरीर को डिटॉक्स करता है.

अनहेल्दी लाइफस्टाइल और व्यस्त काम के कारण तनाव और स्ट्रेस रहता है. वहीं, अर्ध मत्स्येन्द्रासन के नियमित अभ्यास से तनाव कम रहता है और पाचन क्रिया भी बेहतर रहती है. इससे पेट की मांसपेशियों में खिंचाव आता है, जिससे पेट की मांसपेशियां मजबूत होती है और आपकी पाचन क्रिया बेहतर होती है.

गर्भवती महिलाओं को लंबे समय तक इस स्थिति में रहने से बचना चाहिए. यदि आपको घुटने या कूल्हे में गंभीर दर्द हो तो डॉक्टर की सलाह लें. शुरुआती अभ्यास में बहुत अधिक जोर न लगाएं और अभ्यास की अवधि धीरे-धीरे बढ़ाएं.

एनएस/एएस