दिल्ली ब्लास्ट: दुख के बोझ तले दबे जगदीश कटारिया नहीं भूल पाएंगे बेटे का वो आखिरी कॉल

New Delhi, 13 नवंबर . 10 नवंबर की शाम उन परिवारों के लिए पहाड़ बनकर टूटी, जिन्होंने दिल्ली ब्लास्ट में अपनों को खो दिया. उनकी आंखों में अपनों के खोने का दर्द बहते आंसुओं से साफ झलक रहा है.

दिल्ली ब्लास्ट में बेटे अमर कटारिया को खोने वाले वाले जगदीश कटारिया वह आखिरी कॉल नहीं भूल पा रहे हैं, जिसमें बेटे ने कहा था “पापा मैं बस 10 मिनट में घर पहुंच रहा हूं.” बुजुर्ग जगदीश की Government से एक भी अपील है कि दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए, जिससे आगे कभी किसी का बेटा यूं ब्लास्ट में न मारा जाए.

से बातचीत में जगदीश कटारिया ने कहा कि घटना से ठीक दस मिनट पहले मेरे बेटे ने मुझे फोन किया था. हम उस दिन परिवार के साथ बाहर जाने की योजना बना रहे थे. वह अपनी दुकान से निकला था और हम घर से निकलने वाले थे. विस्फोट वाले दिन हम आश्रम जा रहे थे तो मैंने अपनी बेटी से उसे फिर से फोन करने के लिए कहा, लेकिन उसका फोन नहीं लगा. फिर मैंने बेटे के नंबर पर कॉल किया तो एक महिला ने फोन उठाया और बताया कि उसे लाल किले के पास फोन मिला है, जहां अभी-अभी धमाका हुआ है.

उन्होंने कहा कि दूसरे नंबर पर फोन किया तो बेल जा रही थी. दुकान में उसके पार्टनर को फोन किया उन्होंने कहा कि जानकारी लेकर देते हैं. इस दौरान हम दरियागंज पहुंचे, Police की बैरिकेडिंग थी, वहां जा नहीं सके. अस्पताल की इमरजेंसी में गए. अस्पताल में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और दिल्ली की Chief Minister रेखा गुप्ता सभी आए थे. रात भर अस्पताल के बाहर खड़े रहे, सुबह रिस्पॉन्स मिला. सुबह बेटे की बॉडी लेकर आए. उन्होंने कहा कि मेरा बेटा 34 साल का था. चार साल पहले शादी हुई थी. एक पोता है.

उन्होंने कहा कि मेरे बेटे को न्याय मिले. Government को न्याय देना चाहिए. उन्होंने कहा कि आतंकवाद फैल रहा है. Government को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.

धमाके में मारे गए जुम्मन की बहन ने कहा कि मेरा भाई लाल किले के पास रिक्शा चलाने गया था और उसके बाद उसका कोई पता नहीं चला. मेरे भाई के बच्चे बहुत छोटे हैं और उसकी पत्नी दिव्यांग है. वे किराए के मकान में रहते हैं और हमारी बुजुर्ग मां के अलावा उनका भरण-पोषण करने वाला कोई नहीं है. हमने अस्पताल, Police स्टेशन, हर जगह तलाश किया लेकिन किसी ने हमारी मदद नहीं की. डॉक्टर भी देखने नहीं दे रहे थे.

जुम्मन की बहन ने कहा कि भाभी दिव्यांग और मां बूढ़ी है. Government बच्चों के भरण-पोषण की जिम्मेदारी ले. पड़ोसियों ने कहा कि जब शास्त्री पार्क शिकायत देने गए. बाद में कपड़ों से पहचान हुई थी. Government से अपील करते हैं कि पीड़ित परिवार को जल्द से जल्द आर्थिक सहायता दी जाए.

डीकेएम/वीसी