130वें संविधान संशोधन विधेयक के लिए जेपीसी गठित, अपराजिता सारंगी बनीं अध्यक्ष

New Delhi, 12 नवंबर . संसद ने Wednesday को एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए 130वें संविधान संशोधन विधेयक की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया है. इस समिति का जिम्मा BJP MP अपराजिता सारंगी को सौंपा गया है.

यह समिति उन कानूनी प्रावधानों की समीक्षा करेगी जिनका मकसद गंभीर आपराधिक मामलों का सामना कर रहे Prime Minister, Chief Minister , या अन्य जनप्रतिनिधियों को अयोग्य घोषित करने की प्रक्रिया तय करना है. Lok Sabha स्पीकर ने अपराजिता सारंगी को 31 सदस्यीय इस समिति का प्रमुख नियुक्त किया है.

इसके साथ ही यह समिति एक प्रस्तावित विधेयक पर विचार करेगी, जिसके तहत अगर कोई Prime Minister, Chief Minister या कैबिनेट मंत्री गंभीर आपराधिक मामलों में 30 दिनों तक हिरासत में रहता है तो उसे पद से स्वतः हटा दिया जाएगा. यह विधेयक संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 सहित तीन महत्वपूर्ण विधेयकों का हिस्सा है. इनमें प्रस्ताव है कि पांच साल या उससे अधिक सजा वाले अपराधों में आरोपी अगर कोई मंत्री है और उसे जमानत नहीं मिलती तो उसे 31वें दिन पद से हटा दिया जाएगा.

इस समिति का गठन विपक्षी दलों कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस द्वारा बहिष्कार के बावजूद किया गया है. इन दलों ने निर्दोषता की धारणा और संविधानिक मूल्यों के उल्लंघन को लेकर इस विधेयक पर गंभीर चिंता व्यक्त की है. हालांकि, जेपीसी में सत्तारूढ़ गठबंधन के साथ-साथ कुछ एनडीए से बाहर के दलों के नेता जैसे सुप्रिया सुले (एनसीपी-एसपी) और सुधा मूर्ति (मनोनीत) भी शामिल हैं.

Lok Sabha अध्यक्ष ओम बिरला ने संसदीय समितियों में निष्पक्ष चर्चा की आवश्यकता पर जोर दिया और सभी Political दलों से इस प्रक्रिया में भागीदारी का आह्वान किया. जेपीसी संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी.

अपराजिता सारंगी पूर्व आईएएस अधिकारी रह चुकी हैं. इस बार वह दूसरी बार भुवनेश्वर से सांसद चुनकर आई हैं. उन्हें वर्ष 2025 की सबसे महत्वपूर्ण संसदीय समिति की भी कमान मिली है. उनकी अध्यक्षता में यह समिति न सिर्फ 130वें संविधान संशोधन विधेयक बल्कि दो अन्य अहम बिल, जम्मू एंड कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025 और केंद्र शासित प्रदेशों की Government (संशोधन) विधेयक 2025 की भी विस्तृत समीक्षा करेगी.

एसएके/डीकेपी