बिहार चुनाव : सासाराम में बदलते समीकरणों की कहानी, दिलचस्प है इतिहास

Patna, 31 अक्टूबर . बिहार का सासाराम जो कभी शेरशाह सूरी की राजधानी हुआ करता था, आज प्रदेश की राजनीति में अपनी अलग पहचान रखता है. 16वीं शताब्दी में शेरशाह सूरी ने मुगल सम्राट हुमायूं को पराजित कर सत्ता संभाली थी और सासाराम को सूर वंश की राजधानी बनाया था. उनके शासनकाल को भारतीय प्रशासनिक इतिहास का एक गौरवशाली युग माना जाता है. कर प्रणाली, डाक सेवाओं और ग्रैंड ट्रंक रोड (जीटी रोड) जैसी ऐतिहासिक परियोजनाओं की नींव इसी भूमि पर पड़ी थी.

सासाराम को 1972 में रोहतास जिले का मुख्यालय बनाया गया था. इसे 1972 में पुराने शाहाबाद जिले से अलग कर बनाया गया. ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध यह क्षेत्र आज भी बिहार की राजनीति, शिक्षा और सामाजिक चेतना का केंद्र माना जाता है. यहां उच्च साक्षरता दर है, लेकिन इसके बावजूद यह विधानसभा क्षेत्र अब भी जातिगत मतदान प्रवृत्तियों से अछूता नहीं है.

यह विधानसभा सीट सासाराम Lok Sabha क्षेत्र के अंतर्गत आती है, जो अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित है. यह Lok Sabha क्षेत्र कुल 6 विधानसभा क्षेत्रों से मिलकर बना है, जिनमें 3 सासाराम जिले और 3 कैमूर जिले में स्थित हैं.

सासाराम विधानसभा क्षेत्र पूरी तरह से सामान्य श्रेणी का है, लेकिन Political रूप से यहां कुशवाहा (कोइरी) समुदाय का प्रभाव सबसे ज्यादा रहा है. 1980 से लेकर 2015 तक, यानी लगभग 35 वर्षों के दौरान, इस सीट से जितने भी विधायक चुने गए या उपविजेता बने, वे लगभग सभी इसी समुदाय से थे. चुनावी इतिहास यह बताते हैं कि सासाराम में मतदाता दल या विचारधारा से ज्यादा जातीय पहचान को प्राथमिकता देते हैं. इसके अलावा, भूमिहार, यादव, दलित और मुस्लिम मतदाताओं की भी महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है, जो हर चुनाव में समीकरण को नया मोड़ देती है.

सासाराम विधानसभा की स्थापना 1957 में हुई थी और अब तक यहां 17 विधानसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं. समाजवादी धारा से जुड़े दलों (संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, जनता दल, जदयू आदि) ने 10 बार जीत दर्ज की है. इसके अलावा, भाजपा ने 5 बार, तो कांग्रेस ने 2 बार जीत दर्ज की है. इस क्षेत्र में कांग्रेस अपना स्थायी जनाधार बनाने में नाकाम रही.

2000 से यह सीट भाजपा और राजद के बीच कड़ा मुकाबले का केंद्र बन गई. भाजपा ने लगातार तीन बार जीत दर्ज की, लेकिन राजद ने 2015 और 2020 दोनों चुनावों में विजय प्राप्त की. 2020 में राजद के उम्मीदवार राजेश कुमार गुप्ता ने जदयू के अशोक कुमार को हराकर राजद के वर्चस्व की पुष्टि की. हालांकि, 2024 के Lok Sabha चुनाव में भाजपा ने इसी विधानसभा क्षेत्र में बढ़त हासिल की, जिससे यह संकेत मिलता है कि सासाराम में Political हवा फिर से करवट ले सकती है.

चुनाव आयोग की ओर से 2024 में जारी आंकड़ों के अनुसार, सासाराम की कुल जनसंख्या 6,09,797 है. इनमें 3,12,484 पुरुष और 2,97,313 महिलाएं हैं. कुल मतदाताओं की संख्या 3,57,849 है. मतदाताओं में 1,85,909 पुरुष, 1,71,934 महिलाएं और 6 थर्ड जेंडर शामिल हैं.

ऐतिहासिक और प्रशासनिक दृष्टि से समृद्ध सासाराम आज भी कई चुनौतियों से जूझ रहा है. सड़क और सिंचाई सुविधाओं की स्थिति कमजोर है. शिक्षा और स्वास्थ्य ढांचे को लेकर ग्रामीण इलाकों में असंतोष बना हुआ है. रोजगार और पलायन के मुद्दे लगातार बने हुए हैं. शहर के आसपास जलजमाव और सफाई की समस्या भी स्थानीय चुनावी मुद्दों में शामिल है.

पीएसके/एबीएम