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पूर्वी चंपारण, 31 अक्टूबर . बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में पूर्वी चंपारण की चिरैया सीट भाजपा का मजबूत गढ़ मानी जाती है, जहां पर सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण और पलायन प्रमुख मुद्दे हैं.
चिरैया कृषि आधारित अर्थव्यवस्था वाली सीट है. बागमती नदी वरदान है, लेकिन सिंचाई की कमी किसानों को परेशान करती है. बरसात में मदद मिलती है, पर शेष समय पानी संग्रहण और वितरण की कमी रहती है. रोजगार की तलाश में युवा दिल्ली, Mumbai और पंजाब पलायन करते हैं. शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़क संपर्क कमजोर हैं. भारत-नेपाल सीमा के पास होने से तस्करी और अवैध प्रवेश की समस्याएं भी हैं.
चिरैया विधानसभा क्षेत्र 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आया. इसमें चिरैया और पताही प्रखंड शामिल हैं. अब तक तीन चुनाव (2010, 2015, 2020) हुए और तीनों बार भाजपा ने जीत हासिल की. 2010 में अवनीश कुमार सिंह ने राजद को 14,828 वोटों से हराया. 2015 में Narendra Modi की पीएम उम्मीदवारी का विरोध करने पर सिंह को निलंबित कर भाजपा ने लाल बाबू प्रसाद गुप्ता को मौका दिया.
जदयू के एनडीए से अलग होने और राजद से गठबंधन के बावजूद गुप्ता ने 4,374 वोटों से जीत बचाई. 2020 में जदयू के एनडीए में लौटने पर गुप्ता ने राजद को 16,874 वोटों से पराजित किया. 2025 में भाजपा ने फिर लाल बाबू प्रसाद गुप्ता पर भरोसा जताया.
पूर्वी चंपारण Lok Sabha सीट में भी चिरैया भाजपा-जदयू गठबंधन की ताकत दिखाती है. इसमें 2009 में 21,888, 2014 में 4,374, 2019 में 54,972 और 2024 में जदयू को 8,490 वोटों की बढ़त मिली. अगर भौगोलिक स्थिति पर नजर डालें तो जिला मुख्यालय मोतिहारी (25 किमी), ढाका (20 किमी), रक्सौल (60 किमी), केसरिया (40 किमी) और मुजफ्फरपुर (90 किमी) प्रमुख केंद्र हैं. नेपाल की ओर बीरगंज, गौर और जनकपुर निकट हैं.
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, क्षेत्र की कुल आबादी 5,08,987 है, जिनमें 2,68,201 पुरुष और 2,40,786 महिलाएं हैं. मतदाताओं की संख्या 2,98,789 है, जिसमें 1,58,968 पुरुष, 1,39,810 महिलाएं और 11 थर्ड जेंडर के मतदाता शामिल हैं. 2020 में यहां 56.64 प्रतिशत मतदान हुआ था.
यहां के लोगों के लिए सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण, पलायन, उद्योग, शिक्षा और स्वास्थ्य प्रमुख मुद्दे हैं.
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एससीएच/डीकेपी