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गांधीनगर, 11 नवंबर . ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के ध्येय को जीवंत बना रहे India पर्व-2025 में लोक कला और आधुनिक संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिला है. एकता नगर के स्टैच्यू ऑफ यूनिटी परिसर में चल रहे India पर्व के अंतर्गत Rajasthan की कठपुतली कला ने सभी का मन जीत लिया है.
रंग-बिरंगी वेशभूषा, परंपरागत संगीत और जीवंत पात्रों द्वारा जीवन के प्रसंगों की अभिव्यक्ति के शानदार मंचन ने India की इस प्राचीन कला ने एक बार फिर अपनी एक विशिष्ट छाप छोड़ी है.
मूल Rajasthan के नागौर जिले और वर्तमान में Ahmedabad निवासी पवनभाई हरिभाई भाट और उनके चाचा महिपालभाई नारणभाई भाट पिछले 25 वर्षों से कठपुतली कला को जीवंत रखने में जुटे हुए हैं. पवनभाई ने बताया कि कठपुतली कला हमारे दादा-परदादा के दौर से हमारी पहचान रही है. पहले हम गांव-गांव जाकर लोगों का मनोरंजन करते थे, लेकिन आज यह कला Governmentी योजनाओं के प्रचार-प्रसार का माध्यम है.
उन्होंने कहा कि India पर्व 2025 में हमारी इस कला को प्रस्तुत करने का अवसर मिलना हमारे लिए गर्व की बात है. यहां Government की ओर से रहने और खाने की सुविधा के साथ ही रोजगार भी मिल रहा है.
उन्होंने कहा कि कठपुतली का खेल न केवल मनोरंजन का जरिया है, बल्कि यह सामाजिक संदेश देने वाला एक जीवंत माध्यम भी है. इस कला के माध्यम से कलाकार गांवों में स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य और Governmentी योजनाओं के बारे में जागरूकता पैदा कर रहे हैं. यह कला लोगों तक पहुंचने का सबसे सहज मार्ग है, क्योंकि कठपुतली की भाषा हर कोई समझता है.
कठपुतली शब्द सुनते ही बचपन की मीठी यादें ताजा हो जाती हैं. गांव की गली में लालटेन की रोशनी के बीच इकट्ठा हुए बच्चों और बुजुर्गों के बीच जीवंत होती कठपुतली कला उस दौर में मनोरंजन का मुख्य साधन थी, जब टेलीविजन और मोबाइल नहीं थे.
आज के टेक्नोलॉजी युग में भले ही मनोरंजन के साधन बदल गए हों, लेकिन कठपुतली कला ने अपना स्थान कायम रखा है. अब यह कला पपेट थियेटर के रूप में शैक्षणिक और सामाजिक संदेश देने के माध्यम के तौर पर इस्तेमाल की जाती है.
माना जाता है कि India में कठपुतली की कला लगभग दो हजार वर्ष पुरानी है. Rajasthan की धरती इस कला की जननी मानी जाती है. पतले धागे से नचाई जाने वाली कठपुतलियों के जरिए कलाकार महाराणा प्रताप और अमर सिंह राठौड़ जैसे शूरवीरों की शौर्य गाथाओं और लोक कहानियों की जीवंत प्रस्तुति देते थे. यह कला Rajasthan की संस्कृति और परंपरा का गौरवशाली प्रतीक है.
India पर्व-2025 में देश के विभिन्न राज्यों की लोक कलाओं ने भारतीय संस्कृति की विविधता को शानदार ढंग से प्रस्तुत किया है, जिनमें कठपुतली कला का प्रदर्शन लोकप्रिय आकर्षण बन गया है. स्टैच्यू ऑफ यूनिटी परिसर में कठपुतली कला की शानदार प्रस्तुति ने उत्साहित लोगों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया.
यहां Government की ओर से कलाकारों को रहने और खाने के साथ-साथ रोजगार भी प्रदान किया जा रहा है, जो लोककलाओं को पुनर्जीवित करने का एक बढ़िया प्रयास है.
पवनभाई कहते हैं कि India पर्व ने उन्हें उनकी कला को एक नए मंच पर प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान किया है. लोग इस कला का आनंद उठाते हैं और Government के संदेश भी आसानी से समझ पाते हैं.
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एसके/एबीएम