एआई के गलत इस्तेमाल पर सीजेआई बीआर गवई ने चिंता जाहिर की

New Delhi, 10 नवंबर . India के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के गलत इस्तेमाल पर गहरी चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी के इस गलत इस्तेमाल से न्यायतंत्र भी अछूता नहीं रहा है.

दरअसल, सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई थी. याचिका में जेनरेटिव एआई (जेनजीएआई) को रेगुलेट करने के लिए गाइडलाइन जारी करने की मांग की गई थी.

याचिकाकर्ता कार्तिकेय रावल ने याचिका में कहा कि एआई और जेनएआई के बीच भेद है. जेनएआई नए डेटा के आधार पर फेक तस्वीरें बनाने में माहिर है, जिससे समाज में भेदभाव और रूढ़िवादी प्रथाओं को बढ़ावा मिल सकता है.

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के दुरुपयोग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि जजों को उनके खिलाफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और दूसरे डिजिटल टूल के हो रहे गलत इस्तेमाल की जानकारी है. हमने खुद अपना फेक वीडियो देखा है.

याचिका में भारतीय न्यायपालिका में एआई के इस्तेमाल को रेगुलेट करने के लिए दिशा-निर्देश तय किए जाने की मांग की गई है. इस पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि उन्होंने खुद उनको लेकर तैयार फेक वीडियो को देखा है.

कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया कि न्यायपालिका को जनरेटिव एआई के खतरों पर ध्यान देना चाहिए. इस तकनीक से गलत/भ्रामक जानकारी मिलने का अंदेशा है.

याचिकाकर्ता का कहना था कि कोर्ट की सुनवाई के फर्जी वीडियो न्यायपालिका की साख को नुकसान पहुंचा सकते हैं और इससे जनता के बीच गलत संदेश जा सकता है. ऐसे में कोर्ट एआई तकनीक के इस्तेमाल को लेकर दिशा-निर्देश तय करे.

जस्टिस गवई ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील से कहा कि आप क्या चाहते हैं कि यह याचिका आज ही खारिज कर दूं या दो हफ्ते बाद सुनवाई के लिए लगा दी जाए? इसके बाद कोर्ट ने अंततः दो हफ्ते के लिए मामले की सुनवाई टाल दी.

एमएस/डीकेपी