विपक्ष के पास बिहार के लिए कोई ठोस योजना नहीं : विजय कुमार सिन्हा

Patna, 10 नवंबर . बिहार के डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने Monday को राजद नेता तेजस्वी यादव पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि उनके पास बिहार के विकास के संबंध में किसी भी प्रकार की ठोस योजना नहीं है, जिसे वे धरातल पर उतार सकें. ये लोग सिर्फ बिहार में अराजकता का माहौल पैदा करना चाहते हैं, जिसे अब किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है.

उन्होंने समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा कि आज इन लोगों ने हमारे कार्यकर्ता गोवर्धन के बेटे के साथ मारपीट की. उसकी ऐसी हालत कर दी कि उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. इसी तरह से नालंदा में श्रवण बाबू के साथ हुआ. टेकारी में हमारे मंत्री अनिल का हाथ तोड़ दिया गया. सीवान में भी उसी तरह की हालत देखने को मिल रही है. ये लोग इसी तरह से उन्माद पैदा करना चाहते हैं. जातीय गोलबंदी के लिए ये लोग एक तरह का माहौल पैदा करना चाहते थे.

उन्होंने कहा कि अति पिछड़े समुदाय से आने वाले पोलिंग एजेंट को बैठने तक नहीं दिया गया. उनके लिए जिस तरह के अभद्र शब्दों का उपयोग किया गया, वो निंदनीय है. इसके बाद मैंने इस बारे में एसपी को भी सूचित किया. ये लोग सिर्फ इसी बारे में सोच रहे हैं कि समाज में कैसे लोगों के बीच में नफरत पैदा की जाए ताकि विकास से संबंधित कार्यों की गति को धीमा किया जा सके, लेकिन हम लोग सबका साथ और सबका विकास के आधार पर काम करने वाले लोग हैं. हम लोग विकास से संबंधित किसी भी काम को लेकर कोई समझौता नहीं करते हैं.

उन्होंने कहा कि ये लोग उन्माद का सहारा लेकर बिहार में सत्ता प्राप्त करने का प्लान बना रहे हैं, लेकिन मैं एक बात स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि बिहार के लोग अब इनकी साजिश को समझ चुके हैं. ऐसी स्थिति में अब इन्हें किसी भी कीमत पर मौका मिलने वाला नहीं है. आज की तारीख में बिहार की जनता पूरी तरह से प्रबुद्ध है. अगर किसी को लगता है कि वो बिहार की जनता को बेवकूफ बना सकता है तो वो उसकी गलतफहमी है. लिहाजा, उसे अपनी गलतफहमी दूर कर लेनी चाहिए.

उन्होंने कांग्रेस नेता पवन खेड़ा के बयान पर कहा कि आज की तारीख में कांग्रेस और राजद के लोगों ने अफवाह फैलाने में महारत हासिल कर ली है. ये लोग पहले कभी-कभी बोली के बम फोड़ते थे. इनके एक नेता हाइड्रोजन बम फोड़ने की बात कहते थे, लेकिन इन्होंने अब तक कुछ नहीं फोड़ा है. इन लोगों की स्थिति ऐसी बन चुकी है कि इन्हें कोई भी गंभीरता से नहीं ले रहा है. इन लोगों की गंभीरता संकट में पड़ चुकी है.

एसएचके/डीकेपी