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New Delhi, 9 नवंबर . भारतीय नौसेना का जहाज आईएनएस सह्याद्री उत्तरी प्रशांत महासागर स्थित गुआम में पहुंचा है. यहां भारतीय नौसेना का यह जहाज एक बहुराष्ट्रीय नौसैनिक अभ्यास ‘मालाबार-2025’ में भाग लेगा. भारतीय नौसेना यहां एंटी सबमरीन वॉरफेयर और फ्लाइंग ऑपरेशन्स जैसे महत्वपूर्ण नौसैनिक अभ्यास करेगी.
आईएनएस सह्याद्री एक गाइडेड मिसाइल स्टील्थ फ्रिगेट है. यह जहाज स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित किया गया है. नौसेना का कहना है कि आईएनएस सह्याद्री ‘आत्मनिर्भर भारत’ की भावना का उत्कृष्ट उदाहरण है. इससे पहले भी नौसेना का यह समुद्री जहाज कई द्विपक्षीय व बहुपक्षीय नौसैनिक अभ्यासों तथा संचालनात्मक तैनातियों में भाग ले चुका है.
आईएनएस सह्याद्री की इस अभ्यास में भागीदारी India की दीर्घकालिक साझेदारी का हिस्सा है. यह समन्वय को सुदृढ़ करने व अंतर-संचालन क्षमता को बढ़ाने का भी एक बड़ा प्रयास है. यह नौसैनिक अभ्यास क्षेत्रीय सुरक्षा व रक्षा के सामूहिक संकल्प को प्रदर्शित करने की प्रतिबद्धता को पुन: पुष्ट करता है. यहां अभ्यास के हार्बर फेज में परिचालन योजनाओं और चर्चाओं, संचार प्रोटोकॉल के समन्वय, भागीदार देशों के बीच परिचयात्मक दौरे तथा खेलकूद प्रतियोगिताएं शामिल होंगी. इसके बाद सभी भागीदार नौसैनिक इकाइयां सी फेज यानी समुद्री अभ्यास के लिए रवाना होंगी.
समुद्री अभ्यास में संयुक्त बेड़ा संचालन, पनडुब्बी रोधी युद्धाभ्यास, गनरी सीरियल्स और फ्लाइंग ऑपरेशन्स जैसे जटिल नौसैनिक अभ्यास आयोजित किए जाएंगे.
बता दें कि बीते दिनों आईएनएस सह्याद्री जापान में था. यहां India और जापान की नौसेनाओं ने समुद्री सुरक्षा से जुड़े संयुक्त अभ्यास किए हैं. दोनों देशों की नौसेनाओं ने द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास ‘जापान-इंडिया मॅरिटाइम एक्सरसाइज’ को अंजाम दिया है. इस दौरान भारतीय नौसेना का स्वदेशी रूप से निर्मित शिवालिक श्रेणी का गाइडेड मिसाइल स्टील्थ फ्रिगेट आईएनएस सह्याद्री जापान के योकोसुका बंदरगाह पर पहुंचा था. यह भारतीय युद्धपोत दोनों देशों के बीच हो रहे इस संयुक्त अभ्यास का हिस्सा था.
समुद्री चरण के दौरान दोनों देशों की नौसेना ने उच्च स्तरीय अभ्यासों का प्रदर्शन किया. भारतीय नौसेना ने जापान मैरीटाइम सेल्फ-डिफेंस फोर्स के जहाजों और पनडुब्बी के साथ मिलकर उन्नत एंटी-सबमरीन वॉरफेयर और मिसाइल डिफेंस अभ्यासों का संचालन किया. इस दौरान फ्लाइंग ऑपरेशन्स एवं अंडरवे रीप्लेनिशमेंट जैसी जटिल समुद्री गतिविधियों को अंजाम दिया गया. इन महत्वपूर्ण गतिविधियों ने दोनों नौसेनाओं के बीच संचालनात्मक सामंजस्य को और मजबूत किया.
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जीसीबी/डीकेपी