नए आपराधिक कानूनों को पूरे देश में अक्षरशः लागू किया जा रहा है: केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन

New Delhi, 9 नवंबर . Bhopal में Sunday को तीन नए आपराधिक कानूनों पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का सफल आयोजन किया गया. यह आयोजन गृह मंत्रालय, India Government और राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी Bhopal के संयुक्त तत्वावधान में किया गया.

इस सम्मेलन में देशभर के 120 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिनमें सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की न्यायपालिका, अभियोजन और Police से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे. सम्मेलन का उद्देश्य India की आपराधिक न्याय प्रणाली को आधुनिक, पारदर्शी, त्वरित और प्रौद्योगिकी-सक्षम बनाना था.

केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि Prime Minister Narendra Modi के नेतृत्व और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में India एक नए युग में प्रवेश कर रहा है, जहां आपराधिक न्याय प्रणाली को उपनिवेशवाद की विरासत से मुक्त कर उसे पीड़ित-केंद्रित और साक्ष्य-आधारित बनाया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि नए आपराधिक कानूनों के माध्यम से न केवल न्याय की प्रक्रिया को तेज और प्रभावी बनाया गया है, बल्कि तकनीकी एकीकरण से पारदर्शिता और जवाबदेही भी सुनिश्चित की जा रही है.

गृह सचिव ने राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी, Bhopal द्वारा किए गए संस्थागत योगदान की सराहना की. उन्होंने बताया कि अकादमी ने नए कानूनों के तहत लागू तकनीकी नवाचारों के लिए मॉडल नियम और मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) का मसौदा तैयार किया है, जिनमें ई-साक्ष्य, ई-समन, सामुदायिक सेवा और न्याय-श्रुति जैसे प्रमुख प्रावधान शामिल हैं.

उन्होंने कहा कि अब ध्यान इन सुधारों को निरंतर अपनाने और उन्हें संस्थागत रूप से मजबूत करने पर होना चाहिए.

केंद्रीय गृह सचिव ने राज्यों से आग्रह किया कि वे कानूनों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए समर्पित निगरानी तंत्र स्थापित करें ताकि परिचालन संबंधी बाधाओं की पहचान की जा सके और बदलती तकनीकी एवं न्यायिक आवश्यकताओं के अनुरूप नियमों और अधिसूचनाओं को समय पर किया जा सके.

उन्होंने Police विभागों को जांच और अभियोजन प्रक्रिया के पूर्ण डिजिटलीकरण पर बल देते हुए कहा कि ई-साक्ष्य और ई-समन को डिफॉल्ट संचालन मोड के रूप में अपनाना चाहिए.

सम्मेलन में सर्वोच्च न्यायालय की ई-समिति, राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी और राज्य न्यायिक अकादमियों की भूमिका पर भी चर्चा हुई. गृह सचिव ने कहा कि न्यायपालिका को डिजिटल न्याय प्रक्रिया को सशक्त बनाते हुए Police, अभियोजन, फोरेंसिक और कारागार विभागों के साथ एकीकृत प्रणाली विकसित करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सभी हितधारकों को सहयोग और डाटा आधारित निर्णय लेने की संस्कृति को बढ़ावा देना चाहिए ताकि India की न्याय प्रणाली आधुनिक, कुशल और तकनीक प्रधान बन सके.

राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी के निदेशक जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने कहा कि यह सम्मेलन इस दृष्टि से ऐतिहासिक है कि पहली बार आपराधिक न्याय प्रणाली के तीन प्रमुख स्तंभ Police, अभियोजन और न्यायपालिका एक ही मंच पर आए हैं. उन्होंने कहा कि नए तकनीकी नवाचारों और आईसीटी एप्लीकेशंस के साथ तालमेल बनाना न्याय प्रणाली के लिए आवश्यक है. जस्टिस बोस ने गृह मंत्रालय की सराहना करते हुए कहा कि इस तरह के क्षमता निर्माण कार्यक्रम प्रतिभागियों को नई कानूनी अवधारणाओं और तकनीकी उपकरणों की बेहतर समझ प्रदान करते हैं.

सम्मेलन के दौरान नए आपराधिक कानूनों के तहत शुरू किए गए मूलभूत सुधारों, वैज्ञानिक जांच के तकनीकी दृष्टिकोण, न्यायिक प्रक्रिया के डिजिटलीकरण, डिजिटल साक्ष्यों के संचालन, अभियोजन की नई भूमिका और समयबद्ध न्याय सुनिश्चित करने पर विस्तृत चर्चा हुई. व्यावहारिक केस स्टडी, इंटरैक्टिव सत्र और विकसित किए गए डिजिटल प्लेटफॉर्म का व्यावहारिक अनुभव भी सम्मेलन का हिस्सा रहा.

अब तक 26 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने ई-साक्ष्य, 24 ने ई-समन, 20 राज्यों के 16 उच्च न्यायालयों ने न्याय-श्रुति और 28 राज्यों ने सामुदायिक सेवा को दंड के रूप में अधिसूचित किया है.

नए कानूनों के तहत अब तक 15.30 लाख Police अधिकारियों, 12,100 अभियोजन अधिकारियों, 43,941 कारागार अधिकारियों, 3,036 फोरेंसिक वैज्ञानिकों और 18,884 न्यायिक अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है. भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत 50 लाख First Information Report दर्ज, 33 लाख से अधिक आरोप पत्र दाखिल, 22 लाख साक्ष्य आईडी बनाई गईं और 14 लाख से अधिक पीड़ितों को डिजिटल सूचनाओं के माध्यम से स्वचालित केस अपडेट प्राप्त हुए हैं.

1 जुलाई 2024 से अब तक 38 हजार से अधिक जीरो First Information Report दर्ज की गई हैं. यह दर्शाती हैं कि India की नई आपराधिक न्याय प्रणाली किस प्रकार डिजिटल और पारदर्शी दिशा में आगे बढ़ रही है.

एएसएच/वीसी