परफ्यूम हमेशा कलाई, गर्दन या कान के पीछे ही क्यों लगाया जाता है? जानिए वजह

New Delhi, 9 नवंबर . आजकल परफ्यूम की हजारों वैरायटी मार्केट में उपलब्ध हैं. लगभग सभी लोग इनका इस्तेमाल भी करते हैं. क्या आपने कभी सोचा है कि परफ्यूम हमेशा कलाई, गर्दन या कान के पीछे ही क्यों लगाया जाता है? कई लोग इसे सिर्फ फैशन समझते हैं, लेकिन इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी है.

असल में, परफ्यूम को शरीर के पल्स पॉइंट्स पर इसलिए लगाया जाता है क्योंकि यहीं शरीर की गर्मी सबसे ज्यादा होती है. ये वो जगहें हैं, जहां आपकी रक्त नलिकाएं त्वचा के बहुत करीब होती हैं, जैसे कलाई, गर्दन, कान के पीछे, अंदर की कोहनी और छाती का हिस्सा. इन जगहों की गर्मी परफ्यूम मॉलिक्यूल्स को इवेपरेट करने में मदद करती है और यही इवेपरेशन खुशबू को हवा में फैलाती है.

मतलब जितनी स्थिर शरीर की गर्मी, उतने लंबे समय तक परफ्यूम की खुशबू रहती है. इसे सेंट डिफ्यूजन बाय पल्स एक्टिवेशन कहा जाता है, यानी आपकी हार्ट बीट ही धीरे-धीरे खुशबू का रिदम बनाती है.

अगर आप परफ्यूम कपड़ों पर लगाते हैं, तो वहां हीट कम होने की वजह से खुशबू जल्दी उड़ जाती है. लेकिन, जब इसे पल्स पॉइंट्स पर लगाया जाता है, तो खुशबू धीरे-धीरे रिलीज होती है और पूरे दिन नेचुरल तरीके से बनी रहती है.

असल में परफ्यूम लगाने का मजा सिर्फ खुशबू में नहीं, बल्कि उस एहसास में भी होता है जो आपके शरीर की धड़कनों से निकलती है. जब आपका पल्स परफ्यूम मॉलिक्यूल्स को रिलीज करता है, तो यह खुशबू आपके शरीर के साथ रिदम में चलती है. इसलिए कभी-कभी लगता है कि खुशबू सिर्फ आसपास ही नहीं, बल्कि आपके अंदर भी महसूस हो रही है. यही कारण है कि सही जगह पर परफ्यूम लगाने से वह ज्यादा लंबे समय तक महसूस होता है.

परफ्यूम एक तरह का सेल्फ-केयर रिचुअल बन गया है, जो सिर्फ दूसरों को आकर्षित करने के लिए नहीं, बल्कि आपके खुद के एहसास और कॉन्फिडेंस के लिए भी होता है.

पीआईएम/एबीएम