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वाशिंगटन, 28 अक्टूबर . अमेरिका में रिपब्लिकन और डेमोक्रेट दोनों पार्टियों के सांसद मिलकर भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत करने में जुट गए हैं. यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब कुछ महीने पहले ट्रंप प्रशासन ने India के हितों के खिलाफ कई नीतियां लागू की थीं. सांसदों का कहना है कि दोनों पार्टियों को मिलकर इस साझेदारी का समर्थन करना चाहिए और भारत-अमेरिका रिश्तों को मजबूत रखना चाहिए.
पिछले दस दिनों में कम से कम छह संयुक्त पत्र और प्रस्ताव तैयार किए गए हैं. इन पत्रों में भारतीय अमेरिकी समुदाय के हितों की सुरक्षा करने और भारत-अमेरिका के सहयोग को बनाए रखने पर जोर दिया गया है. इसके साथ ही ट्रंप प्रशासन से उन नीतियों के लिए जवाबदेही मांगी गई है.
पिछले हफ्ते अमेरिकी सांसदों ने रटगर्स यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम को लेकर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम हिंदुओं के खिलाफ गलत धारणाओं और पूर्वाग्रह को बढ़ावा दे सकता है, खासकर तब जब अमेरिका में हिंदू मंदिरों पर हमले की घटनाएं बढ़ रही हैं.
इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में जॉर्जिया से डेमोक्रेट सैनफोर्ड बिशप, इलिनॉय से श्री थानेदार, वर्जीनिया से सुहास सुब्रमण्यम और जॉर्जिया से रिपब्लिकन रिच मैककॉर्मिक शामिल थे.
इसके दो दिन पहले छह सांसदों ने President ट्रंप और वाणिज्य सचिव हावर्ड लुटनिक को पत्र लिखा. इसमें उन्होंने एच-1बी वीजा नियमों को लेकर अपनी चिंता जताई.
पत्र में कहा गया कि यह नई नीतियां अमेरिकी नियोक्ताओं के लिए मुश्किलें बढ़ाएंगी और अमेरिका की वैश्विक प्रतिस्पर्धा को कमजोर करेंगी.
इस पत्र पर डेमोक्रेट सुहास सुब्रमण्यम और रिपब्लिकन सांसद जॉय ओबरनोल्टे और डॉन बेकन समेत अन्य सांसदों ने भी हस्ताक्षर किए.
17 अक्टूबर को चार अमेरिकी सांसदों ने President ट्रंप को पत्र लिखा और India में होने वाले क्वाड लीडर्स समिट और एशिया की अन्य बैठकों में हिस्सा लेने का आग्रह किया.
उसी दिन, प्रतिनिधि सभा में एक संयुक्त प्रस्ताव भी पेश किया गया. इसमें भारतीय अमेरिकी समुदाय के अमेरिका में योगदान को मान्यता देने और भारतीय अमेरिकियों के खिलाफ नस्लीय हमलों की निंदा करने की बात कही गई.
इस प्रस्ताव में भारत-अमेरिका के रिश्ते को दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक साझेदारियों में से एक बताया गया.
यह कदम पिछले दिनों 19 डेमोक्रेट सांसदों के पत्र से अलग था, जिसमें उन्होंने ट्रंप को भारत-अमेरिका संबंधों को सुधारने और फिर से मजबूत करने की सलाह दी थी. उस समय कोई रिपब्लिकन सांसद इसमें शामिल नहीं हुआ था.
डेमोक्रेट और रिपब्लिकन दोनों पार्टियों के नेताओं को आलोचना का सामना करना पड़ा, क्योंकि उन्होंने लंबे समय तक चुप्पी बनाए रखी थी. ट्रंप प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी जैसे ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो और वाणिज्य सचिव हावर्ड लुटनिक लगातार India के खिलाफ नीतियां बना रहे थे. ये नीतियां India के रूस से तेल खरीदने और व्यापार संतुलन को लेकर थीं.
अगस्त में ट्रंप प्रशासन ने India पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाए. इसमें रूस से तेल आयात पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क भी शामिल था.
इसके बाद सितंबर में ट्रंप ने एच-1बी वीजा नियम में बदलाव किया और इसके लिए 100,000 डॉलर का आवेदन शुल्क लगाया. 2024 में एच-1बी वीजा पाने वाले 70 प्रतिशत से अधिक लोग भारतीय थे, जिससे India के हित सीधे प्रभावित हुए.
कुछ डेमोक्रेट सांसदों ने इस पर सार्वजनिक विरोध किया, लेकिन रिपब्लिकन सांसदों ने हाल तक चुप्पी बनाए रखी. अक्टूबर की शुरुआत में डेमोक्रेट सांसद अमी बेरा ने से कहा कि कुछ रिपब्लिकन सांसद सिर्फ इसलिए चुप हैं क्योंकि वे President ट्रंप से डरते हैं. उन्होंने कहा कि सांसदों को भारत-अमेरिका संबंधों का समर्थन करने के लिए आगे आना चाहिए.
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पीके/एएस