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वाशिंगटन, 27 अक्टूबर . अमेरिका में आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ने को लेकर रिसर्च किया गया. हाल ही में इस स्टडी के नतीजे सामने आए तो पता चला कि सीजनल एलर्जी से आत्महत्या का खतरा बढ़ सकता है.
यूएस के सीडीसी (सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन) के अनुसार, करीब 81 मिलियन अमेरिकी – यानी लगभग चार में से एक वयस्क और पांच में से एक बच्चा – हर साल मौसमी एलर्जी से जूझता है. इसे और अच्छे से समझने के लिए, वेन स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधार्थियों ने 2006 से 2018 तक 34 अमेरिकी मेट्रो स्थलों से रोजाना परागकण इकट्ठे (डेली पॉलिन काउंट) कर आत्महत्या संबंधी आकंड़ों का विश्लेषण किया.
उन्होंने स्टडी में खोज निकाला वह चौंकाने वाला था. पॉलिन के बढ़ते लेवल के साथ ही आत्महत्या दर भी बढ़ती पाई गई.
कम या जिस दिन परागकण न के बराबर थे और उसकी तुलना में मध्यम मात्रा (एकत्रित किए गए पॉलिन) वाले दिनों में आत्महत्या दर 5.5 फीसदी बढ़ गई.
इस स्टडी को लीड करने वाली शूशान दानागौलियन ने एक प्रेस रिलीज में कहा, “सबसे ज्यादा पॉलिन लेवल पर, हमने सुसाइड में 7.4 फीसदी तक की बढ़ोतरी देखी.”
उन्होंने आगे कहा, “जो बात ज्यादा चिंताजनक है, वह यह है कि जिन लोगों को पहले से कोई मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या थी या जिनका इलाज चल रहा था, उनमें हाई-पॉलिन वाले दिनों में आत्महत्या की प्रवृत्ति और बढ़ गई. ये दर 8.6 फीसदी तक पहुंच गई.”
अमेरिका में 2007 और 2018 के बीच आत्महत्या दर 37 फीसदी बढ़ी है. सिर्फ 2023 में ही 15 लाख से ज्यादा लोगों ने खुदकुशी करने की कोशिश की. 49,000 से ज्यादा अमेरिकियों ने अपनी जान ले ली और इस तरह आत्महत्या देश भर में मौत का 11वां सबसे बड़ा कारण बन गया.
हालांकि आंखों में खुजली, नाक बहना और खांसी जैसे लक्षण मामूली लग सकते हैं, लेकिन रिसर्चर्स का कहना है कि मौसम के साथ होने वाली एलर्जी खतरनाक साबित हो सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि इससे नींद खराब होती है, ध्यान भटकता है जिससे अक्सर मूड खराब हो जाता है . ये सभी सुसाइड के लिए जाने-माने रिस्क फैक्टर हैं.
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केआर/