रांची/चाईबासा, 27 अक्टूबर . Jharkhand के पश्चिमी सिंहभूम जिले के चाईबासा सदर अस्पताल में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआईवी संक्रमित रक्त चढ़ाए जाने के मामले ने राज्य में स्वास्थ्य तंत्र की गंभीर लापरवाही को उजागर किया है. स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले में छह सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है. विभाग की विशेष सचिव डॉ. नेहा अरोड़ा को समिति की अध्यक्ष बनाया गया है.
यह समिति चाईबासा सदर अस्पताल के ब्लड बैंक और उससे जुड़े संस्थानों में रक्त संग्रह, जांच, भंडारण और वितरण की संपूर्ण प्रक्रिया की गहन समीक्षा करेगी. समिति में स्वास्थ्य सेवाओं के निदेशक प्रमुख डॉ. सिद्धार्थ सान्याल, चिकित्सा शिक्षा के निदेशक डॉ. एसके सिंह, रिम्स ब्लड बैंक की इंचार्ज डॉ. सुषमा कुमारी, ड्रग कंट्रोल डायरेक्टरेट की ज्वायंट डायरेक्टर ऋतु सहाय और डॉ. अमरेंद्र कुमार को सदस्य के तौर पर शामिल किया गया था.
इस समिति को जांच पूरी कर सात दिनों के भीतर विस्तृत रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है.
इससे पहले इस मामले में Chief Minister हेमंत सोरेन के आदेश पर Sunday को चाईबासा के सिविल सर्जन डॉ. सुशांतो कुमार माझी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था. उनकी जगह अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी भारती गोरेती मिंज को सिविल सर्जन का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है.
Jharkhand हाईकोर्ट ने भी इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दिए थे. इसके बाद राज्य के स्वास्थ्य सेवा निदेशक डॉ. दिनेश कुमार के नेतृत्व में पांच सदस्यीय टीम ने चाईबासा पहुंचकर ब्लड बैंक, पीकू वार्ड और लैब का निरीक्षण किया. प्रारंभिक जांच में ब्लड स्क्रीनिंग, रिकॉर्ड रखरखाव और ट्रांसफ्यूजन प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं सामने आईं.
जांच में यह भी स्पष्ट हुआ कि ब्लड बैंक में संक्रमित रक्त की आपूर्ति के बाद कम-से-कम सात थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को एचआईवी संक्रमण का खतरा पैदा हुआ है. Government ने पीड़ित परिवारों को दो-दो लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने और सभी संक्रमित बच्चों के इलाज की जिम्मेदारी राज्य स्तर पर उठाने की घोषणा की है.
सीएम हेमंत सोरेन ने घटना को ‘बेहद पीड़ादायक और अस्वीकार्य’ बताया और कहा कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी. स्वास्थ्य विभाग ने राज्य के सभी ब्लड बैंकों का ऑडिट कराने और पांच दिनों में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश जारी किए हैं.
अधिकारियों का कहना है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषियों के खिलाफ विभागीय और कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो.
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एसएनसी/डीकेपी