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Patna, 27 अक्टूबर . सुपौल जिले की छातापुर विधानसभा सीट बिहार के उत्तर-पूर्वी हिस्से में नेपाल सीमा के पास स्थित है. यह सुपौल Lok Sabha क्षेत्र का हिस्सा है और अपनी भौगोलिक स्थिति, सांस्कृतिक विरासत और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के लिए जानी जाती है.
इस विधानसभा क्षेत्र में छातापुर और बसंतपुर प्रखंड शामिल हैं. यह क्षेत्र सुपौल जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर पूर्व और सहरसा से लगभग 70 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित है. निकटतम रेलवे स्टेशन निर्मली में है, जबकि सहरसा और फारबिसगंज से भी रेल कनेक्टिविटी उपलब्ध है.
छातापुर के सीतापुर ग्राम में स्थित दुर्गा मंदिर स्थानीय आस्था का प्रमुख केंद्र है. वहीं, छातापुर प्रखंड के राजेश्वरी गांव में स्थित जगत जननी राज-राजेश्वरी मंदिर की ऐतिहासिक मान्यता है. कहा जाता है कि जब कोसी नदी अपने उग्र रूप में थी, तो मंदिर के पास पहुंचने पर उसने अपनी दिशा बदल ली थी, इसका प्रमाण आज भी स्थानीय लोग दिखाते हैं.
यह इलाका मुख्य रूप से ग्रामीण और कृषि आधारित है. यहां की प्रमुख फसलें धान, मक्का और दालें हैं, जबकि सब्जी उत्पादन और छोटे स्तर पर दुग्ध उत्पादन भी स्थानीय आय का अहम हिस्सा है. नेपाल सीमा से नजदीकी के कारण यहां अनौपचारिक सीमा पार व्यापार भी अर्थव्यवस्था को गति देता है.
Political पृष्ठभूमि की बात करें तो छातापुर विधानसभा सीट की स्थापना 1967 में हुई थी. प्रारंभ में यह अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट थी, लेकिन 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद इसे सामान्य श्रेणी में शामिल कर दिया गया. अब तक यहां 16 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं.
कांग्रेस ने 1969 से 1985 के बीच तीन बार जीत दर्ज की थी, जबकि संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी (1967, 1969), जनता दल (1990, 1995) और जदयू (2005, 2010) को दो-दो बार सफलता मिली. राजद ने 2000, 2002 (उपचुनाव) और 2005 में जीत हासिल की थी. जनता पार्टी को 1977 में एक बार सफलता मिली थी.
2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के नीरज कुमार सिंह ने सीट पर कब्जा बरकरार रखा. उन्होंने राजद के विपिन कुमार सिंह को हराया था. इससे पहले 2015 में भी नीरज कुमार सिंह ने जीत दर्ज की थी. इस बार वे लगातार तीसरी बार जीत दर्ज कर हैट्रिक बनाने की कोशिश में हैं.
इस बार 13 उम्मीदवार मैदान में हैं. भाजपा के नीरज कुमार सिंह के अलावा राजद ने विपिन कुमार सिंह और जन सुराज पार्टी ने अभय कुमार सिंह को टिकट दिया है.
इस सीट पर मुस्लिम, यादव और ब्राह्मण वोटर निर्णायक माने जाते हैं, जो इस चुनाव में भी समीकरण तय कर सकते हैं.
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डीसीएच/एबीएम