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New Delhi, 26 अक्टूबर . केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह Monday को Mumbai के मझगांव डॉक पर अत्याधुनिक गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाले जहाजों (डीप-सी फिशिंग वेसल्स) का वितरण करेंगे.
यह आयोजन India के समुद्री मत्स्य पालन क्षेत्र में सहकारी नेतृत्व को सशक्त बनाने की दिशा में ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित होगा. इस मौके पर Maharashtra के Chief Minister देवेंद्र फडणवीस, उपChief Minister एकनाथ शिंदे और अजीत पवार तथा केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल भी मौजूद रहेंगे.
Prime Minister मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत यह पहल केंद्र Government, Maharashtra Government और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) के संयुक्त वित्तीय सहयोग से की जा रही है. प्रत्येक जहाज की लागत लगभग 1.2 करोड़ रुपए है. इन जहाजों को सहकारी समितियों और मत्स्य पालक उत्पादक संगठनों (एफएफपीओ) को सौंपा जाएगा, ताकि वे गहरे समुद्र में मछली पकड़ने की आधुनिक तकनीक अपना सकें और आत्मनिर्भर India के विजन को साकार करने में योगदान दे सकें.
अमित शाह द्वारा लाभार्थियों को जहाजों की चाबियां सौंपना न केवल मत्स्य पालन क्षेत्र में सहकारिता की नई दिशा तय करेगा, बल्कि यह ‘नीली अर्थव्यवस्था’ को मजबूत करने की दिशा में India की प्रतिबद्धता को भी दर्शाएगा. इस पहल का उद्देश्य भारतीय विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) और उच्च सागरों में मत्स्य संसाधनों के सतत और जिम्मेदार दोहन को बढ़ावा देना है.
मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय तथा सहकारिता मंत्रालय के संयुक्त कार्य समूह ने सहकारी नेतृत्व वाली गहरे समुद्र में मछली पकड़ने की परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए एक समन्वित रणनीति तैयार की है.
अब तक India का समुद्री मत्स्य पालन क्षेत्र मुख्यतः पारंपरिक तरीकों पर निर्भर था, जिसमें मछुआरे समुद्र तट से मात्र 40-60 समुद्री मील की दूरी तक ही जाते थे. नई पहल से अब वे लक्षद्वीप, अंडमान और निकोबार जैसे क्षेत्रों में भी गहरे समुद्र में मत्स्य संसाधनों का दोहन कर सकेंगे, जिससे टूना जैसी उच्च मूल्य वाली मछलियों के निर्यात में वृद्धि होगी और तटीय समुदायों की आजीविका सशक्त होगी.
मझगांव डॉक पर लॉन्च किए जा रहे ये नवनिर्मित जहाज अत्याधुनिक तकनीकों से लैस हैं, जिनमें डिजिटल नेविगेशन सिस्टम, ट्रैकिंग सुविधाएं और सुरक्षा तंत्र शामिल हैं.
इन तकनीकों से परिचालन दक्षता बढ़ेगी और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र पर न्यूनतम प्रभाव पड़ेगा. इससे India का मत्स्य पालन क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप टिकाऊ और जिम्मेदार मत्स्य पालन की दिशा में अग्रसर होगा.
यह आयोजन Prime Minister मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) और मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष (एफआईडीएफ) जैसी योजनाओं के समन्वय को भी दर्शाता है, जिनका उद्देश्य मत्स्य उत्पादों की शीत शृंखला और मूल्य शृंखला अवसंरचना को मजबूत करना, गुणवत्ता सुधारना और वैश्विक बाजारों तक पहुंच बढ़ाना है.
इस पहल से न केवल मत्स्य पालन सहकारी समितियों और एफएफपीओ को मजबूती मिलेग,, बल्कि महिलाओं के नेतृत्व वाले सहकारी उद्यमों को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे तटीय समुदायों में सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन और समावेशी विकास को बल मिलेगा.
इस परियोजना से India की समुद्री मत्स्य अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिलेगी, निर्यात में वृद्धि होगी और तटीय राज्यों में रोज़गार के हजारों नए अवसर पैदा होंगे. गहरे समुद्र में मछली पकड़ने की यह पहल देश की खाद्य और पोषण सुरक्षा को सुदृढ़ करने के साथ ही India को वैश्विक समुद्री व्यापार में एक मजबूत स्थिति दिलाने की दिशा में एक निर्णायक कदम साबित होगी.
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एएसएच/वीसी