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New Delhi, 6 नवंबर . बिहार में विधानसभा चुनावों के पहले चरण में रिकॉर्ड तोड़ वोटिंग हुई, जो 1951 के बाद से सबसे ज्यादा भागीदारी है. यह भारतीय लोकतंत्र के लिए एक ऐतिहासिक पल है.
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बिहार की तारीफ की. उन्होंने कहा, “बिहार ने पूरे देश को रास्ता दिखाया. एसआईआर में कोई आपत्ति नहीं आई. 1951 के बाद सबसे ज्यादा मतदान हुआ. सबसे साफ मतदाता सूची और लोगों का जोश देखने को मिला. पारदर्शी और मेहनती चुनाव व्यवस्था है. यह ‘लोकतंत्र की जीत’ है.”
विशेषज्ञों का मानना है कि आयुक्त का ‘लोकतंत्र की जीत’ कहना कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के लिए एक संदेश था. राहुल गांधी बार-बार चुनाव आयोग पर लोकतंत्र को कमजोर करने और वोट चोरी का आरोप लगाते रहे हैं.
मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) की टिप्पणियां बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूची के शुद्धिकरण के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया चल रही है. बाकी जगहों पर भी यह जल्द शुरू होगी. उनकी बात विपक्षी दलों की आलोचना का भी जवाब देती है, जो एसआईआर पर सवाल उठा रहे हैं.
ज्ञानेश कुमार ने बिहार के मतदाताओं को बधाई दी कि उन्होंने India निर्वाचन आयोग (ईसीआई) पर अपना भरोसा दिखाया और बड़ी संख्या में वोट डाले. उन्होंने चुनाव कर्मियों की पारदर्शिता और मेहनत की तारीफ की.
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में Thursday को शांतिपूर्वक मतदान संपन्न हुआ. रिकॉर्ड 64.66 प्रतिशत मतदान हुआ, जो राज्य के इतिहास में सबसे ज्यादा है.
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 121 सीटों पर मतदान हुआ. शाम 5 बजे तक औसत मतदान 57.5 फीसदी रहा.
मुजफ्फरपुर जिले में सबसे ज्यादा 70.96 फीसदी वोट पड़े. उसके बाद समस्तीपुर (70.63 फीसदी) और बेगूसराय (68.26 फीसदी) रहे. बेगूसराय के बच्चवारा सीट पर सबसे अधिक 69.67 फीसदी मतदान हुआ. Patna जिले में कम सिर्फ 48.69 फीसदी वोटिंग रही.
कुल 1,314 उम्मीदवार मैदान में थे, जिनमें 122 महिलाएं थीं. बिहार ने मतदान और पारदर्शिता में नया रिकॉर्ड बनाया. मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, “लोकतंत्र की जीत हुई.”
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पीएसके/डीकेपी