प्रकाश पर्व: जब तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी ने पुनर्स्थापित कराया था लखपत गुरुद्वारा, आज ग्लोबल हेरिटेज में है गिनती

New Delhi, 5 नवंबर . श्री गुरु नानक देव जी से जुड़े स्थानों में Gujarat का लखपत भी शामिल है. एक समय विनाशकारी भूकंप ने लखपत स्थित गुरुद्वारे को खंडहर बना दिया था, लेकिन Prime Minister Narendra Modi ने गुरुद्वारे को उसके गौरव के साथ पुनर्स्थापित किया था और आज यह ग्लोबल हेरिटेज में गिना जाता है.

श्री गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व के मौके पर ‘मोदी आर्काइव’ में लखपत के गुरुद्वारे के बारे में बताया गया है.

लखपत, कच्छ के सुदूर उत्तर-पश्चिमी कोने में, विशाल रण के उत्तर की ओर स्थित है. यह कभी एक प्रमुख बंदरगाह शहर था. लखपत अपने धार्मिक इतिहास के लिए भी महत्वपूर्ण है. 2014 में Prime Minister की शपथ से पहले Narendra Modi ने एक बयान में कहा था कि सिख धर्म के संस्थापक श्री गुरु नानक देव जी अपनी यात्राओं के दौरान यहीं रुके थे. बाद में यह स्थल एक गुरुद्वारा बन गया, जहां श्री गुरु नानक देव जी की संपत्तियां रखी हैं.

उन्होंने अपने एक बयान में कहा, “मुझे इस बात को कहने में खुशी हो रही है कि लखपत के गुरुद्वारे में आज भी श्री गुरु नानक देव जी की पादुकाओं को संभाल कर रखा गया है. गुरु नानक देव जी Gujarat पधारे थे और पंजाब के बहुत कम लोगों को पता होगा कि गुरुद्वारे के साथ गुरु नानक देव की स्मृतियां जुड़ी हुई हैं. वे सिंध जाने से पहले लंबे अरसे तक लखपत में रुके थे.”

‘मोदी आर्काइव’ में बताया गया है कि 2001 में, एक विनाशकारी भूकंप ने लखपत स्थित गुरुद्वारे को मलबे में बदल दिया था. उस समय, Narendra Modi कच्छ में एक स्वयंसेवक थे और इस विनाश से बहुत दुखी थे.

उन्होंने अपने बयान में कहा, “भूकंप में ये गुरुद्वारा नष्ट हो गया. जब मैं Chief Minister के रूप में वहां गया तो सबसे पहले मैंने वहां कच्छ के भूकंप पीड़ितों की सेवा का काम शुरू किया. लखपत में गुरुद्वारे की दुर्दशा देखी, भूकंप के कारण वह टूट चुका था. हमने इस विषय के जानकार लोगों को बुलाया और मन में ठान लिया कि ये पूरी मानव जाति की अनमोल विरासत है. यह सिर्फ गुरुद्वारा नहीं है, यह गुरु नानक देव जी की स्मृतियों से जुड़ा हुआ है.”

कुछ महीनों बाद Chief Minister बनने के बाद Narendra Modi ने लखपत गुरुद्वारा साहिब को उसके मूल गौरव के साथ पुनर्स्थापित किया था.

अपने संकल्प की बात करते हुए उन्होंने बताया, “हम दोबारा वैसा ही गुरुद्वारा बनाएंगे, जिस तरह का आर्किटेक्चर था, जिस प्रकार की मिट्टी का उपयोग किया गया था और जिस प्रकार से हर काम को बारीकी से सदियों पहले किया गया था, हमें सब वैसा ही करना था. इसके लिए हमने Gujarat के बाहर से एक्सपर्ट्स बुलाए और वैसा ही गुरुद्वारा फिर से बनवाया. आज उसको दुनिया की विरासत के अंदर स्थान मिला है.”

पुनर्निर्मित लखपत गुरुद्वारा साहिब को सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में उत्कृष्टता के लिए 2004 में यूनेस्को एशिया-प्रशांत विरासत संरक्षण पुरस्कार मिला. यह जीर्णोद्धार श्री गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं के प्रति एक श्रद्धांजलि है.

डीसीएच/एएस