कार्तिक पूर्णिमा पर सूर्य घाट बना श्रद्धा का केंद्र, पवित्र स्नान-दर्शन के लिए पहुंचे सैकड़ों श्रद्धालु

New Delhi, 5 नवंबर . कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि पर Wednesday को तड़के से ही श्रद्धालु घाटों पर स्नान करने के साथ मंदिरों के दर्शन भी कर रहे हैं. जौनपुर, दानापुर, और नवादा समेत घाटों में दूर-दूर से आए भक्तों ने पवित्र स्नान किया, पूजा-अर्चना की और दीपदान किया.

उनका कहना है कि ये परंपरा सदियों पुरानी है, जो हर साल कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर संगम, सूर्य घाट और अन्य पवित्र स्थलों पर जीवंत हो उठती है.

जौनपुर के स्थानीय नरसिंह दास ने को बताया, “कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि पर गंगा, सूर्य घाट और अन्य पवित्र स्थानों पर स्नान करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. इस घाट का नाम सूर्य घाट इसलिए पड़ा क्योंकि मंदिर के पहले पुजारी सूर्यदेव की पूजा और सेवा करते थे, जिससे प्रसन्न होकर सूर्यदेव ने उन्हें दर्शन दिए थे. यही वजह है कि इसका नाम सूर्य घाट पड़ा.

गीतांजली परिवार के पूर्व अध्यक्ष डॉ. ब्रह्मेश शुक्ला ने बताया, “मैं पहले गीतांजलि परिवार का अध्यक्ष था, लेकिन अब समर्थक के रूप में कार्यभार संभाल रहा हूं. कार्तिक पूर्णिमा का पावन पर्व कई सदियों से चला आ रहा है. यहां पर श्रद्धालु सैंकड़ों वर्षों से स्नान-दर्शन करने के लिए आते हैं और 500 वर्ष पुराने राम-जानकी मंदिर के दर्शन करते हैं. हमारी संस्था पिछले 45 वर्षों से सेवा कार्य कर रही है. खासकर, जो लोग एक-दूसरे से बिछड़ जाते हैं, उन्हें मिलाने का काम करते हैं.”

इसी के साथ नवादा, बिहार के घाट में भी भक्तों का तांता लगा रहा. वहां मौजूद एक श्रद्धालु ने कहा, “कार्तिक एक पवित्र महीना है, जो आत्मा को शुद्ध करता है. पूरे महीने उपवास, पूजा-पाठ या अनुष्ठान करने से समृद्धि आती है. हम परिवार की खुशहाली, सुख और सफलता के लिए पवित्र स्नान, प्रार्थना, ध्यान करते हैं और नदी में दीप विसर्जित करते हैं.”

ऐसा ही नजारा बिहार के दानापुर में देखने को मिला, जहां पर मौजूद एक अन्य भक्त ने कहा, “यहां पर दर्शन स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. यहां पर कई लोग दूर से आते हैं दर्शन के लिए. मैं कई सालों से यहां पर दर्शन के लिए आ रही हूं.”

पहली बार आईं रीता ने उत्साह जताते हुए कहा, “यहां पर दर्शन करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. इसलिए मैं यहां पर पहली बार आई हूं. कहते हैं यहां पर दर्शन करने से जीवन और घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है.”

एक अन्य श्रद्धालु ने कहा, “कई वर्षों से हमारे पूर्वज इस पावन पर्व पर गंगा स्नान और ध्यान करते आ रहे हैं और नासरीगंज फक्कर घाट पर जो व्यवस्था की जाती है, उसके कारण हमारे घाट पर लोग इतने अच्छे से स्नान और दर्शन कर पाते हैं. आज के जितने भी श्रद्धालु यहां पर आएं हैं, उनको मेरा हार्दिक अभिनंदन और स्वागत है.”

एनएस/एएस