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Lucknow, 4 नवंबर . पश्चिमी उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य परिदृश्य में बड़ा बदलाव लाने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जीआईएमएस), ग्रेटर नोएडा के उन्नयन को हरी झंडी मिल गई है. मुख्य सचिव एस.पी. गोयल की अध्यक्षता में हुई संस्थान की 10वीं शासी निकाय बैठक में न केवल नए सुपरस्पेशियलिटी कोर्स शुरू करने को मंजूरी दी गई, बल्कि जीआईएमएस को अगले दशक में पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एसजीपीजीआई बनाने की रूपरेखा पर भी मुहर लगी.
बैठक में बढ़ती स्वास्थ्य सेवाओं की मांग और उन्नत उपचार सुविधाओं को देखते हुए संस्थान के अधोसंरचना विस्तार व क्षमता वृद्धि प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई. मेडिकल कॉलेज परियोजना के दूसरे चरण की राशि भी मंजूर की गई, जिसके अंतर्गत जीएनआईडीए द्वारा जीबी विश्वविद्यालय को आवंटित 56 एकड़ भूमि पर मेडिकल, नर्सिंग और पैरामेडिकल कॉलेजों का निर्माण किया जाएगा.
शासी निकाय ने यूरोलॉजी, न्यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी, मेडिकल ऑन्कोलॉजी, न्यूरोसर्जरी, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, क्रिटिकल केयर मेडिसिन और पीडियाट्रिक सर्जरी में सुपरस्पेशियलिटी पाठ्यक्रम (डीएम/एमसीएच/डीएनबी) प्रारंभ करने की मंजूरी दी. इसके साथ नियोनेटोलॉजी, पेन मेडिसिन, रीजनल एनेस्थीसिया, डेंटल सर्जरी और क्रिटिकल केयर में फेलोशिप को भी सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान की गई.
बैठक में राष्ट्रीय आपातकालीन जीवन रक्षक (एनईएल) प्रशिक्षण केंद्र और जीआईएमएस विद्या सेतु-स्वास्थ्य कौशल विकास इकाई स्थापित करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई. इस इकाई के अंतर्गत गहन देखभाल, मैकेनिकल वेंटिलेशन और नर्सिंग मॉड्यूल से जुड़े प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाएंगे.
जीआईएमएस द्वारा प्रस्तुत 10 वर्षीय विजन डॉक्यूमेंट को सैद्धांतिक मंजूरी देते हुए मुख्य सचिव ने इसके क्रियान्वयन के लिए विस्तृत रोडमैप तैयार करने के निर्देश दिए. अपर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा अमित कुमार घोष ने संस्थान में रोबोटिक सर्जरी और सटीक चिकित्सा सुविधाएं विकसित करने पर बल दिया.
इस अवसर पर निदेशक डॉ. (ब्रिगेडियर) राकेश के. गुप्ता ने बताया कि संस्थान ने अल्प अवधि में एनएबीएच और एनएबीएल मान्यता प्राप्त कर उत्कृष्टता की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है.
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विकेटी/डीकेपी