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इंफाल, 4 नवंबर . मणिपुर के कांगपोकपी जिले में असम राइफल्स ने केंद्रीय रिजर्व Police बल (सीआरपीएफ) और मणिपुर Police के साथ मिलकर एक बड़ा मादक पदार्थ विरोधी अभियान चलाया.
इस कार्रवाई में सोंगलुंग, ओल्ड सोंगलुंग और लहंगजोल गांवों के आसपास फैले जंगली इलाकों में छिपी अफीम की खेती का पता लगाया गया. कुल 30 एकड़ जमीन पर फैले तीन अलग-अलग खेतों में उगाई जा रही अफीम की फसल को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया. अनुमान के मुताबिक, इन खेतों से करीब 270 किलोग्राम अफीम निकलने की संभावना थी, जिसकी बाजार कीमत करोड़ों रुपए बताई जा रही है.
अभियान सुबह से शुरू होकर शाम तक चला. सुरक्षा बलों की संयुक्त टीम ने पहाड़ी और घने जंगलों वाले मुश्किल इलाके में पैदल मार्च किया. मौसम खराब था और बारिश की वजह से रास्ते कीचड़ भरे थे. लेकिन, टीम ने हार नहीं मानी. खेतों तक पहुंचते ही अफीम के पौधों को जड़ से उखाड़ा गया और मौके पर ही जला दिया गया. इससे इलाके में फैलने वाली नशीली दवाओं की सप्लाई चेन पर करारा झटका लगा.
असम राइफल्स के अधिकारियों ने बताया कि फसल अवैध रूप से उगाए जा रहे थे और इनसे निकला माल म्यांमार सीमा के रास्ते बाहर भेजा जाना था.
यह अभियान मणिपुर में बढ़ते नशीले पदार्थों के कारोबार को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. कांगपोकपी जिला पहाड़ी क्षेत्रों से घिरा है, जहां अफीम की खेती गुप्त रूप से होती रही है.
स्थानीय लोग डर की वजह से शिकायत नहीं करते, लेकिन सुरक्षा बलों की खुफिया जानकारी ने इस बार सफलता दिलाई. सीआरपीएफ और मणिपुर Police की मदद से असम राइफल्स ने न केवल फसल नष्ट की, बल्कि आसपास के इलाकों में तलाशी भी ली ताकि कोई और खेत छूट न जाए.
वहीं, असम राइफल्स ने इसे क्षेत्र में अवैध मादक पदार्थों की खेती और उत्पादन के खिलाफ चल रही मुहिम का हिस्सा बताया. पिछले कुछ महीनों में राज्य में ऐसी कई कार्रवाइयां हुई हैं, जिनमें हेरोइन, अफीम और अन्य नशीले पदार्थ जब्त किए गए.
मणिपुर म्यांमार के गोल्डन ट्रायंगल से सटा होने की वजह से ड्रग तस्करी का बड़ा रूट बना हुआ है. केंद्र Government ने इस समस्या को गंभीरता से लिया है और सुरक्षा बलों को लगातार निर्देश दिए जा रहे हैं.
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एसएचके/एबीएम