सूबेदार जोगिंदर सिंह: भारतीय सेना के वो सूरमा, जिन्होंने 20 सैनिकों के साथ 200 चीनियों के उड़ाए थे होश

New Delhi, 22 अक्टूबर . सूबेदार जोगिंदर सिंह ने 1962 में हुए India और चीन की लड़ाई में अदम्य साहस और हिम्मत दिखाई और देश के लिए शहीद हो गए. उनके मरणोपरांत उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया.

सूबेदार जोगिंदर सिंह का जन्म 26 जनवरी 1921 को पंजाब के फरीदकोट में हुआ था. 1962 में वह भारत-चीन युद्ध के दौरान देश के लिए शहीद हो गए. 28 सितंबर 1936 को उन्हें भारतीय सेना के सिख रेजीमेंट में शामिल होने का मौका मिला.

सूबेदार जोगिंदर सिंह ने भारत-चीन युद्ध के दौरान ऐसी वीरता दिखाई, जिसे हर भारतीय को नमन करना चाहिए. उन्होंने केवल 20 भारतीय सैनिकों की टुकड़ी के साथ 200 चीनी सैनिकों का डटकर मुकाबला किया.

चीन ने सुबह करीब साढ़े पांच बजे बूम ला एक्सिस से India पर हमला कर दिया था. हालांकि, सूबेदार सिंह ने स्थिति पहले ही भांप ली थी और उन्होंने अपने आलाधिकारियों को इस बारे में सूचित किया.

आनन-फानन में India चीन की तरफ से होने वाले हमले का जवाब देने के लिए कमर कसकर तैयार हो गया. इस युद्ध के दौरान उन्होंने जो किया उसने सबके होश उड़ा दिए. चीन ने 200 सैनिकों को India पर हमला करने के लिए भेजा.

हालांकि, India के पास उस वक्त उन हमलों का जवाब देने के लिए केवल 20 सैनिक ही थे, लेकिन फिर भी सूबेदार सिंह ने हिम्मत नहीं हारी और चीनी सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब देना शुरू किया.

युद्ध के दौरान उन्होंने कई चीनी सैनिकों को ढेर कर दिया. सूबेदार सिंह ने अपने 20 जांबाजों के साथ चीनी सैनिकों को आगे बढ़ने से रोक दिया. हालांकि, ऐसा करने में आधे से ज्यादा भारतीय सैनिक शहीद हो चुके थे.

वहीं, सूबेदार जोगिंदर सिंह भी घायल हो गए, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. अपनी आखिरी सांस तक वह चीन के खिलाफ लड़ते रहे. कहा जाता है कि सूबेदार सिंह को गोली लगी हुई थी, फिर भी उन्होंने कई चीनी सैनिकों को मार गिराया.

आखिर में वह राइफल पर लगे खंजर के साथ ‘वाहे गुरु का खालसा, वाहे गुरु की फतह’ का नारा लगाते हुए दुश्मनों पर टूट पड़े. उन्होंने कई चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया. बुरी तरह से जख्मी सूबेदार सिंह को आखिर में चीनी सैनिकों ने बंदी बना लिया और वह कभी वापस नहीं आ सके.

इस बीच तीन भारतीय सैनिक किसी तरह वहां से भाग निकले. वापस आने के बाद उन्होंने सूबेदार जोगिंदर सिंह की वीरगाथा सबको बताई. फिर उन्हें उनके शौर्य और साहस के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया.

केके/डीएससी