New Delhi, 19 अक्टूबर . पीआर श्रीजेश ने हाल के कुछ वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट में भारतीय हॉकी टीम की सफलता में बतौर गोलकीपर बड़ी भूमिका निभाई है. वे केरल से संबंध रखते हैं. श्रीजेश से पूर्व केरल से आने वाले मैनुअल फ्रेडरिक ने भारतीय हॉकी टीम में बतौर गोलकीपर बड़ा नाम कमाया था और ओलंपिक में मेडल जीतने वाली टीम के सदस्य रहे थे.
मैनुअल फ्रेडरिक का जन्म 20 अक्टूबर 1947 को केरल के कन्नूर के बर्नसेरी में हुआ था. 11 साल की उम्र में उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया था. हॉकी के प्रति उनके जुनून ने राष्ट्रीय टीम के लिए उनकी खेलने की महत्वाकांक्षा को सफल बनाया. फ्रेडरिक दो विश्व कप में भी भारतीय टीम के लिए गोलकीपर के रूप में खेले. 1960 और 1970 के दशक में वह भारतीय टीम का मुख्य चेहरा रहे. फ्रेडरिक 1972 में म्यूनिख ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा थे. भारतीय टीम ने इस ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था. फ्रेडरिक केरल के ऐसे पहले खिलाड़ी हैं जिनके नाम ओलंपिक में पदक जीतने की उपलब्धि है.
हॉकी से संन्यास लेने के बाद फ्रेडरिक को वित्तीय समस्याओं से जूझना पड़ा. उन्हें Bengaluru में किराए के मकान में भी रहना पड़ा. हालांकि, इसके बावजूद उन्होंने हॉकी से मुंह नहीं मोड़ा. 78 साल की उम्र में वह सक्रिय हैं और युवा हॉकी खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करते हैं. 2019 में, उन्हें युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा हॉकी में आजीवन सक्रियता के लिए ध्यानचंद पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
20 अक्टूबर को सुप्रिया जाटव का भी जन्मदिन होता है. सुप्रिया देश की एक प्रतिभाशाली कराटे खिलाड़ी हैं. उनका जन्म 20 अक्टूबर 1991 को हुआ था. सुप्रिया के पिता अमर सिंह जाटव सेना के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं. सैन्य पृष्ठभूमि की वजह से उन्हें खेल में प्रोत्साहन मिला. छह साल की उम्र में उन्होंने कराटे का प्रशिक्षण शुरू किया था. प्रशिक्षण की शुरुआत उन्होंने अपने पिता के निर्देशन में ही की थी. इसके बाद उन्होंने जयदेव शर्मा की कोचिंग में कुमिते 55 किग्रा वर्ग में विशेषज्ञता हासिल की. वह Madhya Pradesh कराटे अकादमी की स्टार खिलाड़ी रहीं.
2020 में प्रेसिडेंट कप सीनियर नेशनल कराटे चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ी. उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि 2022 में अमेरिका के लास वेगास में आयोजित यूएस ओपन कराटे चैंपियनशिप में आई. इस प्रतियोगिता में उन्होंने गोल्ड जीता था. उन्होंने अन्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कराटे में India का नाम रोशन किया है.
सुप्रिया देश में कराटे के युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा हैं. उनका मानना है कि कराटे न केवल खेल है, बल्कि जीवन का दर्शन है. यह कला भी है, जो आत्मरक्षा, एकाग्रता और आत्मविश्वास सिखाती है. सुप्रिया महिलाओं के लिए कार्यशालाएं आयोजित करती हैं और उन्हें सशक्त बनाने की दिशा में काम कर रही हैं.
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पीएके