Mumbai , 17 अक्टूबर . Maharashtra साइबर विभाग ने अब तक के सबसे बड़े ‘डिजिटल अरेस्ट’ स्कैम का भंडाफोड़ किया है. इस मामले में Police ने सात लोगों को गिरफ्तार किया है. यह जानकारी Maharashtra साइबर विभाग के अतिरिक्त Police महानिदेशक यशस्वी यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी.
एडीजी यशस्वी यादव ने बताया कि यह घोटाला 58 करोड़ रुपए का है, जिसमें पीड़ित एक शिक्षित व्यक्ति और एक फार्मा कंपनी का संस्थापक है, लेकिन ऐसी परिस्थितियां पैदा की गईं कि वह व्यक्ति साइबर अपराधियों के ‘डिजिटल अरेस्ट’ का शिकार हो गया.
Police अधिकारी के अनुसार, इस घोटाले में ठगों ने अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया. उन्होंने Police थाने, अदालत और अधिकारियों के नाम का नकली सेटअप तैयार किया, ताकि पीड़ित को यह लगे कि वह किसी वास्तविक कानूनी कार्रवाई में फंसे हैं. यह पूरी ठगी लगभग 40 दिनों तक चलती रही. 29 सितंबर को आखिरी लेनदेन हुआ, जिसके बाद पीड़ित ने दोस्तों को इस घटना की जानकारी दी.
इससे पीड़ित व्यक्ति मानसिक सदमे में आ गया और 11 दिन तक साइबर विभाग से संपर्क नहीं कर पाया. हालांकि, बाद में शिकायत मिलते ही Maharashtra साइबर टीम ने करीब 6 हजार बैंक खातों को फ्रीज कर दिया. अब तक विभाग 58 करोड़ में से 4 करोड़ रुपए सुरक्षित वापस कराने में सफल हुआ है.
एडीजी यशस्वी यादव ने कहा कि यह अब तक का सबसे बड़ा डिजिटल अरेस्ट स्कैम है. हमारी नौ टीमें इस पर लगातार काम कर रही हैं और उम्मीद है कि अन्य रकम भी बरामद होगी. उन्होंने बताया कि हमने इस घोटाले में शामिल 7 लोगों को गिरफ्तार किया है.
इसके साथ ही, Police अधिकारी ने कहा कि बैंकों को अपनी गाइडलाइंस और सुरक्षा मानकों को मजबूत करने की जरूरत है. हम आरबीआई समेत सभी बैंकों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी करेंगे.
उन्होंने यह भी बताया कि इस साल अब तक 3 हजार से अधिक डिजिटल अरेस्ट मामलों की शिकायतें मिलीं, जिनमें से कई मामलों का सफलतापूर्वक खुलासा किया जा चुका है.
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डीसीएच/एबीएम