किसानों ने सरकार के समक्ष 17 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सौंपा

ग्रेटर नोएडा, 17 अक्टूबर . मांगों को लेकर किसानों ने Friday को ग्रेटर नोएडा के सूरजपुर स्थित कलेक्ट्रेट पर हल्ला बोला. सैकड़ों की संख्या में किसान नॉलेज पार्क के मेट्रो स्टेशन पर एकत्रित हुए और उसके बाद वे ट्रैक्टरों के साथ कलेक्ट्रेट पहुंचे. किसानों ने अपनी समस्याओं के समाधान के लिए Government के समक्ष 17 सूत्रीय मांगों का विस्तृत ज्ञापन सौंपा है.

किसानों का कहना है कि बढ़ती कृषि लागत, घटते उत्पादन मूल्य, समय पर भुगतान न मिलना, प्राकृतिक आपदाएं और आवारा पशुओं का प्रकोप उनकी आर्थिक स्थिति को लगातार कमजोर कर रहा है. ऐसे में खेती अब लाभ का नहीं बल्कि घाटे का सौदा बनती जा रही है. किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर समयबद्ध कार्रवाई नहीं हुई तो वे व्यापक आंदोलन के लिए बाध्य होंगे. किसानों की प्रमुख मांगों में गन्ने का समर्थन मूल्य 450 रुपए प्रति क्विंटल घोषित करने के साथ बकाया भुगतान पर ब्याज सहित त्वरित भुगतान सुनिश्चित करना शामिल है.

इसके साथ ही छोटे एवं सीमांत किसानों के सभी कृषि ऋण माफ करने की मांग भी प्रमुखता से उठाई गई है. किसानों ने स्मार्ट मीटर प्रणाली समाप्त कर उन्हें मुफ्त या रियायती बिजली उपलब्ध कराने की भी मांग की है. फसल को आवारा पशुओं से बचाने के लिए हर गांव में सुचारू रूप से गो-आश्रय स्थल संचालित करने तथा ठोस प्रबंधन नीति बनाने की बात कही गई है.

इसके अतिरिक्त फसल बीमा योजना में सुधार करते हुए त्वरित और वास्तविक मुआवजे की व्यवस्था करने, कृषि इनपुट्स पर टैक्स में छूट देने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी दर्जा देने की मांगें भी सामने रखी गई हैं. किसानों ने प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, सूखा, ओलावृष्टि या कीट प्रकोप की स्थिति में त्वरित राहत राशि एवं फसल क्षतिपूर्ति की व्यवस्था करने, वृद्ध किसानों हेतु किसान पेंशन योजना लागू करने और हर जिले में कृषि मंडी व भंडारण केंद्र स्थापित करने की भी मांग की है.

Prime Minister किसान सम्मान निधि की राशि 6,000 रुपए से बढ़ाकर 12,000 रुपए वार्षिक करने तथा भूमिहीन किसानों को Governmentी भूमि पर दीर्घकालीन लीज देने की बात भी कही गई है. किसानों ने यह भी आग्रह किया है कि आंदोलनरत किसानों पर दर्ज किए गए झूठे मुकदमे वापस लिए जाएं और कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देते हुए किसान संगठनों से नियमित संवाद स्थापित किया जाए.

किसानों का कहना है कि यदि Government इन मांगों को स्वीकार कर अमल में लाती है तो प्रदेश का किसान आत्मनिर्भर बनकर प्रदेश और राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को मजबूत आधार प्रदान करेगा.

पीकेटी/डीकेपी