New Delhi, 16 अक्टूबर . सर्वोच्च अदालत में मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई से दुर्व्यवहार मामले ने अब नया कानूनी मोड़ ले लिया है. India के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने आरोपी वकील राकेश किशोर के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की अनुमति दे दी है.
यह मंजूरी Supreme court बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष विकास सिंह की अर्जी पर दी गई.
आर. वेंकटरमणी ने स्वीकृति पत्र में कहा कि उन्होंने इस घटना से संबंधित सभी दस्तावेजों और तथ्यों का सावधानीपूर्वक अध्ययन किया है. वकील राकेश किशोर का व्यवहार न्यायालय अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 2(सी) के तहत आपराधिक अवमानना की श्रेणी में आता है.
वेंकटरमणी ने कहा, “राकेश किशोर के कार्य और उनके कथन न केवल अदालत की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले हैं, बल्कि वे Supreme court की प्रतिष्ठा और अधिकार को कमजोर करने के उद्देश्य से किए गए प्रतीत होते हैं. इस तरह का आचरण न्याय प्रणाली की नींव पर चोट करता है और इससे जनता का विश्वास न्यायपालिका से डगमगा सकता है, विशेष रूप से जब यह मामला देश की सर्वोच्च अदालत से जुड़ा हो.”
उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति किसी भी परिस्थिति में अदालत की अवमानना करने या न्यायाधीशों को निशाना बनाने को औचित्य नहीं ठहरा सकता. उन्होंने कहा, “जजों की ओर कोई वस्तु फेंकना या अदालत की कार्यवाही पर चिल्लाना अदालत की गरिमा का गंभीर अपमान है.”
अटॉर्नी जनरल ने यह भी स्पष्ट किया कि वकील राकेश किशोर द्वारा दी गई किसी भी तरह की सफाई या कारण इस अशोभनीय और अपमानजनक व्यवहार को सही नहीं ठहरा सकते. उन्होंने इसे ‘रूल ऑफ लॉ’ और न्यायपालिका की गरिमा पर सीधा हमला बताया.
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि अब तक वकील राकेश किशोर ने अपने व्यवहार के प्रति कोई पश्चाताप या खेद नहीं जताया है. उनकी बाद की टिप्पणियों से यह स्पष्ट है कि उन्होंने अपने कृत्य के लिए कोई पछतावा नहीं दिखाया.
अटॉर्नी जनरल ने कहा, “मैं न्यायालय अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 15(1)(बी) के तहत अपनी सहमति प्रदान करता हूं ताकि राकेश किशोर के खिलाफ Supreme court में आपराधिक अवमानना की कार्यवाही प्रारंभ की जा सके.”
अटॉर्नी जनरल का यह निर्णय अब Supreme court के समक्ष पेश किया जाएगा, जिसके बाद अदालत यह तय करेगी कि राकेश किशोर के खिलाफ औपचारिक सुनवाई कब और कैसे शुरू की जाएगी.
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वीकेयू/वीसी