संयुक्त राष्ट्र, 14 अक्टूबर . India ने Pakistan को ‘आतंक, हिंसा, कट्टरता, असहिष्णुता और उग्रवाद का मुख्य स्रोत’ बताते हुए मांग की है कि Pakistan कश्मीर के उस हिस्से में जारी ‘गंभीर और निरंतर मानवाधिकार उल्लंघन’ को तुरंत रोके, जिसे उसने अवैध रूप से कब्जा किया हुआ है.
केरल से रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने उपनिवेशवाद-उन्मूलन से संबंधित महासभा समिति में कहा, “Pakistan आतंक, हिंसा, कट्टरता, असहिष्णुता और उग्रवाद का मुख्य स्रोत है. इसी साल अप्रैल में, Pakistan की तरफ से प्रशिक्षित और प्रायोजित आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या कर दी थी.”
उन्होंने अप्रैल 1948 में पारित सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 47 का उल्लंघन करते हुए कश्मीर के उस हिस्से में Pakistan के क्रूर दमन का पर्दाफाश किया, जिस पर पड़ोसी मुल्क का कब्जा है.
प्रेमचंद्रन ने कहा, “हम Pakistan से आग्रह करते हैं कि वह उन क्षेत्रों में जारी गंभीर और निरंतर मानवाधिकार उल्लंघनों को रोके, जिन्हें उसने अवैध रूप से कब्जा किया हुआ है. वहां की जनता Pakistan के सैन्य कब्जे, दमन, क्रूरता और संसाधनों के अवैध दोहन के खिलाफ खुलकर विद्रोह कर रही है.”
उन्होंने आगे कहा, “सिर्फ पिछले कुछ हफ्तों में ही Pakistan की सेना और उसके समर्थकों ने कई निर्दोष नागरिकों की हत्या कर दी है, जो अपने मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए आंदोलन कर रहे थे.”
उल्लेखनीय है कि Pakistanी सेना ने विरोध प्रदर्शन को कुचलते हुए 12 से ज्यादा लोगों की हत्या कर दी.
प्रेमचंद्रन ने समिति में बीते हफ्ते Pakistan की तरफ से India और कश्मीर को लेकर दिए गए बयानों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि ये टिप्पणियां चौथी समिति के कार्यक्षेत्र या एजेंडे में शामिल किसी भी विषय से संबंधित नहीं थीं.
उन्होंने कहा, “विडंबना है कि एक ऐसा देश, जो दुनियाभर में आतंकवाद को राज्य की नीति के एक साधन के रूप में इस्तेमाल करने के लिए बदनाम है, वह दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र पर आरोप लगाने की कोशिश कर रहा है. Pakistan जैसा देश, जिसका सैन्य तानाशाही, दिखावटी चुनाव, लोकप्रिय निर्वाचित नेताओं की गिरफ्तारी, धार्मिक उग्रवाद और राज्य प्रायोजित आतंकवाद का पुराना इतिहास रहा है, उसे भविष्य में इस मंच से उपदेश देने से परहेज करना चाहिए.”
प्रेमचंद्रन ने दोहराया है कि, “जम्मू और कश्मीर India का अभिन्न और अविभाज्य अंग है और हमेशा रहेगा.”
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आरएसजी/एएस