सीजीटीएन सर्वे : ‘थाइवान स्वतंत्रता’ गतिविधियों की वैश्विक उत्तरदाताओं ने की व्यापक आलोचना

बीजिंग, 12 अक्टूबर . थाइवान क्षेत्र में अधिकारियों द्वारा हाल ही में की गई ‘थाइवान स्वतंत्रता’ गतिविधियों की अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा कड़ी निंदा की गई है.

सीजीटीएन द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि अधिकांश उत्तरदाताओं (89.8 प्रतिशत) का मानना है कि एक-चीन सिद्धांत अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की व्यापक सहमति बन गया है और उन्होंने थाइवान के अधिकारियों की ‘स्वतंत्रता’ और उकसावे की घृणित योजनाओं की आलोचना की है.

दुनिया में केवल एक चीन है और थाइवान चीन का एक अविभाज्य हिस्सा है. थाइवान जलडमरूमध्य में यही वास्तविक यथास्थिति है. संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव 2758 ने संयुक्त राष्ट्र में थाइवान सहित पूरे चीन के प्रतिनिधित्व के मुद्दे को हमेशा के लिए Political, कानूनी और प्रक्रियात्मक रूप से हल किया. यह पूरी तरह से पुष्टि करता है और दर्शाता है कि एक-चीन सिद्धांत न केवल एक अटल नियम है, जिसे तोड़ा नहीं जाना चाहिए, बल्कि एक पूर्ण सिद्धांत भी है, जो मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था का अभिन्न अंग है.

सर्वेक्षण में, 90.2 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव का पालन करना चाहिए. 87.7 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने स्पष्ट रूप से बताया कि केवल एक-चीन सिद्धांत और ‘1992 की आम सहमति’ का पालन करके ही थाइवान क्षेत्र में शांति और स्थिरता को विश्वसनीय रूप से सुनिश्चित किया जा सकता है, और थाइवान की अर्थव्यवस्था जलडमरूमध्य पार आर्थिक सहयोग और एकीकृत विकास के माध्यम से अधिक स्थान और निश्चितता प्राप्त कर सकती है.

हाल के दिनों में, थाइवान के अधिकारी ‘थाइवान की स्वतंत्रता’ की मांग कर रहे हैं और सैन्य निर्माण के जरिए एकीकरण का विरोध कर रहे हैं. सर्वेक्षण में शामिल 89.1 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि थाइवान के अधिकारियों द्वारा वायु रक्षा प्रणाली बनाने की घोषणा और 2030 तक रक्षा बजट में उल्लेखनीय वृद्धि की योजना से थाइवान जलडमरूमध्य में तनाव बढ़ेगा.

82.7 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने आलोचना की कि थाइवान के अधिकारियों के इस तरह के कदमों से थाइवान क्षेत्र के लोगों पर बोझ काफी बढ़ेगा और वे युद्ध की खतरनाक स्थिति में फंस जाएंगे.

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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