देश में लोकतंत्र बचाने की जरूरत, जेपी के आदर्शों से सीखने का समय: गोपाल राय

New Delhi, 8 अक्टूबर . आम आदमी पार्टी के नेता गोपाल राय ने जयप्रकाश नारायण की पुण्यतिथि पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि देश में लोकतंत्र को बचाने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि देश में 50 साल पहले तत्कालीन तानाशाही के खिलाफ संपूर्ण क्रांति का नेतृत्व जयप्रकाश नारायण ने किया था. उस समय पूरे देश के छात्र, युवा और आम जनता ने एकजुट होकर लोकतंत्र की स्थापना की थी. अब आधी सदी बाद देश में एक बार फिर नए तरह से तानाशाही थोपी जा रही है, जहां लोकतांत्रिक संस्थानों पर Government द्वारा दबाव और प्रभाव बनाने की कोशिशें हो रही हैं. इस बात को लेकर दिल्ली के वरिष्ठ नेता गोपाल राय ने गंभीर चिंता जताई है.

गोपाल राय ने कहा कि आज देश के हर लोकतांत्रिक संस्थान को दबाव में लेकर, डराकर चुप कराने की कोशिशें की जा रही हैं. उन्होंने हाल ही में Supreme court के चीफ जस्टिस पर जूता फेंकने की घटना को लोकतंत्र के लिए एक बड़ा संकट बताया और इसे तानाशाही के चरमोत्कर्ष के रूप में देखा. उन्होंने कहा, “इसका मतलब साफ है कि आज देश में सत्ता का असली मतलब दबाव, डर और डराने-धमकाने से चलाना है.”

उन्होंने आगे कहा कि विपक्षी पार्टियों को ईडी और सीबीआई जैसे संगठनों के जरिए परेशान किया जा रहा है, चुनाव आयोग पर भी दबाव बनाकर एक भय और आतंक का माहौल पैदा करने की कोशिश हो रही है. ऐसे समय में जब आज जयप्रकाश नारायण की पुण्यतिथि है, हमें उनके आदर्शों और संकल्पों से सीख लेकर देश को इस संकट से बाहर निकालने का रास्ता खोजने की जरूरत है.

उन्होंने कहा, “हालांकि आज जयप्रकाश नारायण नहीं हैं, लेकिन उनकी विचारधारा आज भी हमारे बीच जीवित है और हमें इसी से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ना है.”

दिल्ली प्रदूषण को लेकर गोपाल राय ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका सर्वोपरि है और दिल्ली के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए जो भी निर्णय लिए जाते हैं, समाज और Government को मिलकर उसका समर्थन करना चाहिए. उन्होंने Government और जनता से अपील की कि वे मिलकर प्रदूषण के खिलाफ काम करें ताकि दिल्ली की हवा साफ हो सके.

गोपाल राय ने बिहार चुनाव को लेकर कहा, “बिहार में असली मुद्दे शिक्षा, रोजगार, किसान और विकास के हैं. जो पार्टी इन बुनियादी सवालों को लेकर काम करेगी, वही चुनाव जीतेगी.” उन्होंने कहा कि जनता बदलाव चाहती है और जो दल इस मांग को समझेगा, वह ही बिहार की राजनीति में मजबूत होगा.

वीकेयू/डीएससी