New Delhi, 6 अक्टूबर . केंद्र Government, पश्चिम बंगाल में सीमा पार की नदियों पर अचानक बाढ़ और नदी के कटाव की समस्याओं के समाधान के लिए भूटान Government के साथ लगातार बातचीत कर रही है. दोनों देशों के बीच इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर संयुक्त विशेषज्ञ समूह (जेजीई), संयुक्त तकनीकी टीम (जेटीटी) और संयुक्त विशेषज्ञ टीम (जेईटी) जैसी कार्यरत हैं, जिनमें पश्चिम बंगाल राज्य Government के अधिकारी भी शामिल हैं.
हाल ही में भूटान के पारो में आयोजित 11वीं जेजीई बैठक में भूटान से पश्चिम बंगाल में प्रवेश करने वाली आठ नई नदियों-हाशिमाराझोरा, जोगीखोला, रोकिया, धवलाझोरा, गबुर बसरा, गबुर ज्योति, पाना और रैदक पर विचार किया गया है. इसके साथ ही India की ओर सीमा पार नदियों पर बाढ़ पूर्वानुमान में सुधार के लिए भूटान में जल विज्ञान अवलोकन नेटवर्क को मजबूत करने का काम भी चल रहा है.
केंद्र Government ने बाढ़ प्रबंधन परियोजनाओं के तहत अब तक पश्चिम बंगाल Government को 1,290 करोड़ रुपए जारी किए हैं, जबकि वर्तमान में ऐसी किसी परियोजना का कोई नया वित्तपोषण प्रस्ताव केंद्र के पास लंबित नहीं है.
गंगा कार्य योजना और नमामि गंगे परियोजना के तहत, पश्चिम बंगाल राज्य में कुल 5,648.52 करोड़ रुपए की 62 परियोजनाएं और हस्तक्षेप शुरू किए गए हैं. राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) ने राज्य में 31 सीवरेज अवसंरचना परियोजनाओं और 30 घाटों और श्मशान परियोजनाओं को मंजूरी दी है.
सीवरेज अवसंरचना के लिए 4,605.72 करोड़ रुपए की 31 परियोजनाओं का लक्ष्य 767.27 एमएलडी की अतिरिक्त सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) क्षमता का निर्माण और 981 किलोमीटर सीवरेज नेटवर्क बिछाना है.
इन कार्यों के लिए एनएमसीजी ने 1,942.86 करोड़ रुपए जारी किए हैं. इसके अलावा, कोलकाता में टॉली नाला पुनरुद्धार को भी मंजूरी मिली है, जो नदी पुनरुद्धार की सबसे बड़ी एकल परियोजना है, जिसकी अनुमानित लागत 817.30 करोड़ रुपए है.
घाट और श्मशान परियोजनाओं के लिए 225.50 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 196.17 करोड़ रुपए वितरित किए जा चुके हैं.
एनएमसीजी ने स्पष्ट किया है कि सीवरेज परियोजनाओं के लिए अग्रिम निधि जारी करने की व्यवस्था अपनाई जाती है, इसलिए 477 करोड़ रुपए बकाया होने का कोई दावा वर्तमान निधि स्थिति को सही ढंग से नहीं दर्शाता है.
नमामि गंगे मिशन-II के तहत पश्चिम बंगाल के 16 शहरों की पहचान की गई थी, लेकिन राज्य द्वारा केवल 4 विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) ही प्रस्तुत की गई हैं, जिनकी देरी का मुख्य कारण भूमि अधिग्रहण के मुद्दे बताए गए हैं. वर्तमान में एनएमसीजी के अनुमोदन के लिए कोई भी डीपीआर लंबित नहीं है.
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एसएके/डीएससी