चाईबासा, 6 अक्टूबर . Jharkhand के पश्चिमी सिंहभूम जिले के सारंडा जंगल में नक्सलियों के लगाए गए आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) विस्फोट की चपेट में आने से एक जंगली हाथी की जान पर बन आई है. इस मादा हाथी का आगे का दायां पैर बुरी तरह जख्मी हो गया है.
सूचना मिलने पर वन विभाग और पशु चिकित्सकों की टीम Monday को मौके पर पहुंची और लगभग चार घंटे की कठिन कोशिशों के बाद घायल हाथी का प्राथमिक उपचार शुरू किया गया.
इलाज के दौरान केले में दवा मिलाकर हाथी को दी गई, जिसे उसने खा लिया. वन विभाग की टीम अब लगातार उसकी निगरानी कर रही है ताकि संक्रमण न बढ़े.
पशु चिकित्सक डॉ. संजय कुमार ने बताया कि हाथी को एंटीबायोटिक, दर्द निवारक और सूजन कम करने की दवाएं दी गई हैं. उन्होंने कहा कि हाथी की हालत गंभीर है, लेकिन हम पूरी कोशिश कर रहे हैं कि उसे सुरक्षित स्थान पर ले जाकर बेहतर उपचार दिया जा सके.
बताया गया कि घायल हाथी लगभग 10 से 12 वर्ष की मादा है, जो फिलहाल चलने में असमर्थ है. वन विभाग के अधिकारी मानते हैं कि जंगल में नक्सलियों द्वारा बिछाए गए विस्फोटक वन्य जीवों के लिए भी गंभीर खतरा बन चुके हैं.
यह पहली बार नहीं है, जब सारंडा में हाथी नक्सलियों की आईईडी का शिकार बने हों. इससे पहले 5 जुलाई को इसी इलाके में छह वर्षीय हाथी ने विस्फोट में घायल होने के बाद दम तोड़ दिया था.
स्थानीय ग्रामीण उस हाथी को प्यार से ‘गडरू’ नाम से पुकारते थे. वह 24 जून को विस्फोट में घायल हुआ था और कई दिनों तक दर्द में घिसटता रहा. वन विभाग ने तब Gujarat की संस्था ‘वनतारा’ की मेडिकल रेस्क्यू टीम की मदद ली थी, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद वह हाथी नहीं बच पाया था.
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एसएनसी/एबीएम