भारत ने कुष्ठ रोग पर पाई बड़ी सफलता, 44 साल में बीमारी के फैलाव में 99 प्रतिशत की कमी

New Delhi, 6 अक्टूबर . India ने कुष्ठ रोग के मामले में एक बड़ी सफलता हासिल की है. पिछले 44 वर्षों में प्रति 10,000 जनसंख्या पर कुष्ठ रोग के फैलाव में 99 प्रतिशत की कमी आई है. साथ ही उपचाराधीन मामलों में 98 प्रतिशत की कमी आई है. यह जानकारी Government ने दी है.

Governmentी आंकड़ों के मुताबिक, 2025 में India में प्रति 10,000 जनसंख्या पर कुष्ठ रोग मरीजों की संख्या 0.57 फीसदी होगी. इसके अलावा 82 हजार मरीज उपचाराधीन होंगे. इसके विपरीत, 1981 में देश में प्रति 10,000 जनसंख्या पर 57.2 फीसदी लोग इस रोग से पीड़ित थे और 39.19 लाख उपचाराधीन रोगी थे.

इस तरह से पिछले चार दशकों में इस बीमारी ने बहुत कम लोगों को प्रभावित किया है.

India में मार्च 2006 में पहली बार यह रिपोर्ट मिली थी कि कुष्ठ रोग का प्रसार 10,000 लोगों पर एक फीसदी से कम हो गया है. उस समय यह आंकड़ा 0.84 फीसदी था. उसके बाद से देश में नए मामलों में 37 प्रतिशत की गिरावट आई है.

कुष्ठ रोग एक संक्रामक बीमारी है, जो माइकोबैक्टीरियम लेप्री नामक बैक्टीरिया की वजह से होती है. इसके मुख्य लक्षणों में त्वचा पर रंग बदल जाना, त्वचा पर छूने या दर्द महसूस न होना, मांसपेशियों की कमजोरी और हाथ-पैरों या चेहरे पर विकृतियां शामिल हैं. यह बीमारी नाक और मुंह से निकलने वाली बूंदों के जरिए फैलती है, खासकर तब जब कोई व्यक्ति लंबे समय तक संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में होता है.

Government ने बताया कि इस बीमारी से लड़ने के लिए 1983 में एक नई दवा पद्धति शुरू की गई, जिसे मल्टीड्रग थेरेपी (एमडीटी) कहा जाता है. इस दवा में रिफाम्पिसिन, क्लोफाजिमिन और डैप्सोन शामिल हैं. एमडीटी की मदद से बीमारी को जल्दी पकड़कर इलाज किया जाता है, जिससे मरीजों को विकृतियों से बचाया जा सकता है.

राष्ट्रीय स्तर पर इस बीमारी को खत्म करने के लिए राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनएलईपी) शुरू किया गया. यह कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत संचालित होता है. इस योजना के तहत मरीजों का मुफ्त इलाज किया जाता है और दवाओं की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित की जाती है. साथ ही, समय-समय पर इलाज के नए तरीके अपनाए जाते हैं और समुदाय में जागरूकता बढ़ाई जाती है.

Government ने बताया, ”एनएलईपी कार्यक्रम की सफलता Political इच्छाशक्ति, लगातार काम, मुफ्त और समय पर दवाओं की उपलब्धता, वैश्विक दिशा-निर्देशों को अपनाने, नए इलाज के तरीकों को अपनाने और समुदाय की भागीदारी के कारण मिली है.”

बयान में आगे कहा गया, ”मार्च 2025 तक, India के 31 राज्य और 638 जिले ऐसे हैं जहां कुष्ठ रोग का प्रसार 10,000 लोगों पर एक से कम है. अब बाकी राज्यों और जिलों में भी इस लक्ष्य को पाने की दिशा में काम चल रहा है.”

कुष्ठ रोग की जांच को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए इसे आयुष्मान India योजना, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) और किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके) के तहत भी शामिल किया गया है. इससे बच्चों और वयस्कों दोनों की नियमित जांच की जा रही है.

आने वाले वर्षों में एनएलईपी 2023-2027 की रणनीतिक योजना के साथ और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के 2021-2030 रोडमैप के तहत 2030 तक कुष्ठ रोग के संक्रमण को पूरी तरह खत्म करने की दिशा में काम करेगा.

Government ने कहा, ”India जैसे-जैसे इस लक्ष्य के करीब पहुंच रहा है, तो इसे हासिल करने के लिए Political इच्छाशक्ति, पर्याप्त धनराशि और जनता की सक्रिय भागीदारी बहुत जरूरी होगी.”

पीके/वीसी