Mumbai , 5 अक्टूबर . Madhya Pradesh और Rajasthan समेत कई राज्यों में कफ सिरप से हुई मौतों के बाद Maharashtra Government ने सख्ती दिखाई है. Maharashtra खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) की तरफ से जारी की गई एडवाइजरी में बताया गया कि जहरीले पदार्थ मिलने के कारण इस कफ सिरप का इस्तेमाल बंद करने के निर्देश दिए गए हैं.
एफडीए की तरफ से जारी प्रेस नोट में बताया गया कि यह कदम Madhya Pradesh और Rajasthan में बच्चों की दुखद मौतों की रिपोर्टों के बाद उठाया गया है. कफ सिरप में मिले कथित विषैले पदार्थ के बाद जनता से अपील की जाती है कि वह इसका इस्तेमाल बंद कर दे. इसके साथ ही सभी लाइसेंसधारियों को भी निर्देश दिया जाता है कि अगर किसी के पास कोल्ड्रिफ सिरप (बैच संख्या एसआर-13) है तो उसकी बिक्री/वितरण/उपयोग तुरंत बंद कर दें और स्थानीय ड्रग कंट्रोलर को बिना किसी देरी के इसकी सूचना दें.
एफडीए ने प्रेस नोट में बताया कि जनता उक्त दवा की सूचना सीधे खाद्य एवं औषधि प्रशासन, Maharashtra को टोल-फ्री नंबर 1800222365 पर भी दे सकती है.
इसके साथ ही Maharashtra एफडीए के अधिकारी तमिलनाडु के डीसीए अधिकारियों के साथ संपर्क में हैं, जहां निर्माता श्रीसन फार्मा स्थित है. इसके साथ ही Maharashtra में सभी औषधि निरीक्षकों और सहायक आयुक्तों को निर्देश दिया गया है कि वे खुदरा विक्रेताओं, थोक विक्रेताओं और अस्पतालों को तुरंत सूचित करें कि अगर बाजार में उक्त उत्पाद बैच का कोई भी स्टॉक उपलब्ध हो तो उसे फ्रीज कर दें. Maharashtra का खाद्य एवं औषधि प्रशासन इस संबंध में आवश्यक कदम उठा रहा है. जनता से आग्रह है कि वे जीवन को किसी भी अन्य जोखिम से बचाने के लिए सावधानी बरतें.
इससे पहले Madhya Pradesh के छिंदवाड़ा में कफ सिरप के सेवन से 10 बच्चों की मौत के मामले में स्वास्थ्य विभाग ने बड़ी कार्रवाई की. इस मामले में Governmentी डॉक्टर होते हुए निजी क्लीनिक में प्रैक्टिस करने वाले प्रवीन सोनी को निलंबित किया गया. लोक स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा आयुक्त ने Sunday को इस संबंध में आदेश जारी किया.
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, डॉ. प्रवीन सोनी ने निजी प्रैक्टिस के दौरान इलाज के लिए आए शिशुओं को ऐसी दवाइयां प्रिस्क्राइब कीं, जिनके सेवन के बाद बच्चों को तेज बुखार और पेशाब में कठिनाई हुई. बाद में किडनी फेल होने के कारण बच्चों की मौत हो गई.
विभागीय जांच में यह तथ्य सामने आया है कि डॉक्टर ने शिशुओं की सही से जांच किए बिना ही दवाइयों का पर्चा लिखा, जिससे बच्चों की हालत बिगड़ी और यह एक घातक चूक साबित हुई. विभागीय जांच में पता चला कि अगर समय रहते उचित चिकित्सा दी जाती तो इन बच्चों की जान बचाई जा सकती थी.
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एमएस/डीकेपी