उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन 7 अक्टूबर को राजनीतिक नेताओं के साथ पहली औपचारिक बैठक करेंगे

New Delhi, 4 अक्टूबर . उपPresident सी.पी. राधाकृष्णन 7 अक्टूबर को विभिन्न Political दलों के नेताओं के साथ अपनी पहली औपचारिक बातचीत की मेजबानी करने वाले हैं. यह राज्यसभा के सभापति के रूप में उनके शुरुआती कार्यकाल में एक महत्वपूर्ण क्षण होगा.

सूत्रों ने पुष्टि की है कि यह बैठक संसद परिसर के एनेक्सी एक्सटेंशन भवन में शाम 4 बजे होगी. यह बैठक राधाकृष्णन के पदभार ग्रहण करने के एक महीने से भी कम समय बाद हो रही है, जिन्होंने 9 सितंबर को उपPresident चुनाव जीता था.

यह पहल, खासकर संसद के शीतकालीन सत्र के निकट आने के साथ, दलीय सीमाओं से परे संवाद और सहयोग को बढ़ावा देने के उनके इरादे का संकेत देती है.

मुख्य आमंत्रितों में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सदन के नेता जे. पी. नड्डा, विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू शामिल हैं. संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और एल. मुरुगन के भी शामिल होने की उम्मीद है, जो इस चर्चा में Government के पूर्ण प्रतिनिधित्व का संकेत है.

सूत्रों का कहना है कि बैठक संसदीय मर्यादा को मजबूत करने, विधायी उत्पादकता बढ़ाने और प्रमुख राष्ट्रीय मुद्दों पर आम सहमति बनाने पर केंद्रित होगी.

उपPresident राधाकृष्णन, जो अपनी मिलनसार शैली और प्रशासनिक अनुभव के लिए जाने जाते हैं, उच्च सदन में रचनात्मक बहस और आपसी सम्मान के महत्व पर जोर दे सकते हैं. इस बातचीत को उनके अध्यक्ष पद की दिशा तय करने के लिए एक रणनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब संसद में लगातार व्यवधान और तीखी बहस देखने को मिली है.

अपने कार्यकाल के शुरुआती दौर में ही सत्ताधारी और विपक्षी दोनों नेताओं से बातचीत करके, वह राज्यसभा के कामकाज के लिए एक सहयोगात्मक ढांचा स्थापित करने के इच्छुक प्रतीत होते हैं.

Political पर्यवेक्षकों का मानना ​​है कि ऐसी बैठकें, भले ही अनौपचारिक प्रकृति की हों, लेकिन अक्सर विधायी सत्रों के दौरान बेहतर समन्वय का मार्ग प्रशस्त करती हैं. उपPresident की यह सक्रियता संवादहीनता को कम करने और राष्ट्रीय मुद्दों पर द्विपक्षीय प्रयासों को प्रोत्साहित करने में भी मदद कर सकती है.

यह बैठक बंद कमरे में होने की उम्मीद है, लेकिन इसके नतीजे आगामी सत्र के मूड और गति को आकार दे सकते हैं. सभी की निगाहें इस बात पर होंगी कि उपPresident अपने संसदीय नेतृत्व की इस पहली बड़ी परीक्षा से कैसे निपटते हैं.

एससीएच