New Delhi, 3 अक्टूबर . ‘कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन- 2025’ में वैश्विक अर्थशास्त्र और डिजिटल मुद्राओं के भविष्य पर गहन चर्चा हुई. पेरिस स्थित साइंसेज पो विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर और बैंक डी फ्रांस के पूर्व डिप्टी गवर्नर जीन पियरे लैंडौ ने सम्मेलन को लेकर कहा कि मुझे पिछले तीन संस्करणों में भाग लेने का सौभाग्य मिल रहा है, जो मेरे लिए गौरव की बात है.
उन्होंने से बात करते हुए कहा कि पिछले तीन संस्करणों में भाग लेने के बाद वे इस सम्मेलन की प्रासंगिकता और India की बढ़ती आत्मविश्वास भरी छवि से प्रभावित हैं. India अपने भविष्य और विश्व अर्थव्यवस्था में अपनी स्थिर भूमिका को लेकर लगातार, धीरे-धीरे और बिना किसी आक्रामकता के अधिक आत्मविश्वास प्रदर्शित कर रहा है. यह आज सुबह माननीय मंत्री के भाषण से भी स्पष्ट था.
लैंडौ ने डिजिटल मुद्राओं को एक महत्वपूर्ण तकनीकी नवाचार बताया, जो लाभ और जोखिम दोनों ला सकता है.
उन्होंने कहा, “डिजिटल मुद्राएं लोगों को विशेष रूप से उन लोगों को जो बैंकिंग सेवाओं से वंचित हैं, लेन-देन में सक्षम बना सकती हैं. दुनिया में अभी भी कई लोग बिना वित्तीय सेवाओं के हैं. डिजिटल मुद्राएं उन्हें सामान्य वित्तीय जीवन जीने का अवसर दे सकती हैं.”
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि पर्याप्त सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और नीतिगत समर्थन की कमी रही, तो ये नवाचार जोखिम भी पैदा कर सकते हैं. सब कुछ कार्यान्वयन के विवरण पर निर्भर करता है.
India में डिजिटल सेवाओं और भुगतान प्रणालियों के विस्तार को लैंडौ ने वैश्विक मानक के रूप में सराहा. उन्होंने कहा, “India ने डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में जो प्रगति की है, वह आधुनिक वित्तीय प्रणालियों में अग्रणी के रूप में एक महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच प्रदान करता है.”
India की यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) जैसी पहल ने वैश्विक स्तर पर डिजिटल भुगतान के मॉडल को नया आयाम दिया है.
लैंडौ ने वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और अस्थिरता के दौर में स्थिरता और पूर्वानुमान की आवश्यकता पर बल दिया.
उन्होंने कहा, “वर्तमान वैश्विक परिदृश्य अनिश्चितता से भरा है. हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम स्थिरता और विकास के लिए मिलकर काम करें, जो भविष्य के निवेश के लिए जरूरी है.”
उन्होंने ‘कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन’ जैसे मंच को वैश्विक आर्थिक नीतियों और नवाचारों पर सार्थक चर्चा का एक बेहतरीन अवसर बताया. सम्मेलन में डिजिटल अर्थव्यवस्था, वित्तीय समावेशन और वैश्विक आर्थिक स्थिरता जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ.
India की डिजिटल अर्थव्यवस्था और नवाचारों को वैश्विक मंच पर सराहा गया, जो देश की बढ़ती आर्थिक ताकत को दर्शाता है.
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एकेएस/एबीएम