केंद्र ने टेक्सटाइल के लिए पीएलआई आवेदन का बढ़ाया समय, 31 दिसंबर हुई अब अंतिम तिथि

New Delhi, 3 अक्टूबर . केंद्र ने उद्योग जगत के हितधारकों की उत्साहजनक प्रतिक्रिया को देखते हुए Friday को वस्त्र उद्योग के लिए पीएलआई योजना के तहत नए आवेदन प्राप्त करने की अंतिम तिथि को इस वर्ष दिसंबर के अंत तक बढ़ाने का फैसला लिया है.

वस्त्र मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, आवेदन पोर्टल अब 31 दिसंबर, 2025 तक खुला रहेगा, जिससे संभावित निवेशकों को इस योजना में भाग लेने और लाभ उठाने का एक और अवसर मिलेगा.

यह समय सीमा बढ़ाने का निर्णय अगस्त 2025 में शुरू हुए लेटेस्ट इनविटेशन राउंड में मैन-मेड फाइबर (एमएमएफ) परिधान, एमएमएफ फैब्रिक और टेक्निकल टेक्सटाइल जैसे क्षेत्रों से बड़ी संख्या में आवेदन प्राप्त होने के बाद लिया गया है.

इच्छुक आवेदक अपने प्रस्ताव आधिकारिक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से जमा कर सकते हैं.

बयान में कहा गया है कि एप्लीकेशन विंडो को फिर से ओपन करना पीएलआई योजना के तहत उद्योग की निरंतर निवेश क्षमता का सीधा प्रमाण है, जो घरेलू कपड़ा विनिर्माण में बढ़ती बाजार मांग और विश्वास को दर्शाता है.

एमएमएफ परिधान, एमएमएफ फैब्रिक और देश में टेक्निकल टेक्सटाइल उत्पादों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कपड़ा क्षेत्र को आकार और क्षमता प्रदान करने और प्रतिस्पर्धी बनाने के उद्देश्य से सितंबर 2021 में 10,683 करोड़ रुपए के आवंटन के साथ कपड़ा उद्योग के लिए पीएलआई योजना को मंजूरी दी गई थी.

वित्त वर्ष 2024-25 में एमएमएफ निर्यात लगभग 525 करोड़ रुपए तक बढ़ गया, जो कि वित्त वर्ष 2023-24 में 499 करोड़ रुपए दर्ज किया गया था.

जबकि टेक्निकल टेक्सटाइल निर्यात 294 करोड़ रुपए तक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष 200 करोड़ रुपए था.

सभी क्षेत्रों में केंद्र की पीएलआई योजनाओं ने India को आयात पर अत्यधिक निर्भर देश से 1.76 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश के साथ ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग में एक प्रमुख प्लेयर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इन योजनाओं के कारण उत्पादन, निर्यात और रोजगार में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है.

पीएलआई योजनाएं उभरते क्षेत्रों का समर्थन कर, इनोवेशन को बढ़ावा देकर और ग्लोबल सप्लाई चेन को देश में स्थापित कर रणनीतिक रूप से India के मैन्युफैक्चरिंग बेस को मजबूत कर रही हैं.

पीएलआई प्रतिभागियों की कुल बिक्री 16.5 लाख करोड़ रुपए से अधिक होने से उत्पादन पर महत्वपूर्ण प्रभाव रहा है, जो कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स और ऑटोमोटिव जैसे प्रमुख क्षेत्रों में प्रभावशाली वृद्धि को दर्शाता है.

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