कांगो में इबोला से निपटने के प्रयासों में आड़े आ रही धन की कमी, डब्ल्यूएचओ ने की ये अपील

किंशासा, 3 अक्टूबर . कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य की राजधानी किंशासा के स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि डीआरसी के कसाई प्रांत में इबोला के प्रकोप में कमी के शुरुआती संकेत दिख रहे हैं. हालांकि, वित्तीय कमी और रसद संबंधी चुनौतियां इबोला के प्रभाव को कम करने के प्रयासों में बाधा बन रही हैं.

किंशासा, 3 अक्टूबर . कांगो में एक महीने बाद कसाई प्रांत में इबोला का प्रकोप कम होने के शुरुआती संकेत मिलने लगे हैं. हालांकि अब भी वित्तीय कमी और रसद संबंधी चुनौतियां बीमारी के प्रभाव को कम करने के प्रयासों में बाधा बन रही हैं.

समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, कांगो Government ने 4 सितंबर को इबोला प्रकोप की घोषणा की. 1976 में वायरस की पहली बार पहचान के बाद से देश 16वीं बार इबोला की चपेट में आया है. Wednesday तक कुल 64 मामले सामने आए थे, जिनमें 42 मरीजों की मौत हो गई, जबकि 12 मरीजों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अफ्रीका क्षेत्रीय कार्यालय के कार्यवाहक क्षेत्रीय आपातकालीन निदेशक पैट्रिक अबोक ने एक वर्चुअल प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि लगभग 30 दिनों की लगातार कोशिशों के बाद नए मामलों की संख्या में गिरावट शुरू देखने को मिल रही है. यह इस बात का एक मजबूत संकेत है कि हमारे प्रयासों का असर दिखने लगा है.

अब तक 8,000 से अधिक लोगों को टीका लगाया जा चुका है जो इबोला के पुष्ट मामलों के संपर्क में आए हैं. डब्ल्यूएचओ के अफ्रीका क्षेत्रीय कार्यालय ने Thursday को एक बयान में कहा कि एक नए अभियान का उद्देश्य बुलापे के 19 इलाकों में 18,000 खुराकें पहुंचाना है, ताकि जोखिमग्रस्त आबादी की सुरक्षा की जा सके और वायरस के प्रसार को रोका जाए.

पिछले तीन हफ्तों में दर्ज मामलों में गिरावट देखी गई है, लेकिन नियंत्रण उपायों को बनाए रखना और उनका विस्तार करना अभी महत्वपूर्ण बना हुआ है.

डब्ल्यूएचओ के इबोला प्रबंधक मोरी कीता ने इबोला से निपटने में मजबूत सामुदायिक भागीदारी पर खुशी जताई. उन्होंने कहा, “पिछले प्रकोपों ​​के विपरीत, हमें प्रतिरोध का सामना नहीं करना पड़ा. ग्राम प्रधान स्वयं टीकाकरण का अनुरोध कर रहे हैं, जिससे हमारे काम में तेजी आ रही है.”

हालांकि, बीमारी से निपटने और इसके असर को कम करने के लिए जरूरी 20 मिलियन डॉलर में से केवल 21 प्रतिशत हिस्सा मिल पाया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन और उसके सहयोगियों ने पड़ोसी देशों में तैयारियों को मजबूत करने के लिए अतिरिक्त 66 मिलियन डॉलर की अपील की है.

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, इबोला एक अत्यधिक संक्रामक रक्तस्रावी बुखार है. इसकी वजह से व्यक्ति को बुखार, उल्टी, दस्त, सामान्य दर्द और अस्वस्थता जैसे कई लक्षण दिखाई देते हैं और कई मामलों में आंतरिक और बाहरी रक्तस्राव भी होता है.

कनक/वीसी