टैरिफ को लेकर भारत-अमेरिका के बीच बनेगी बात? यूएसटीआर ने भारतीय दृष्टिकोण को बताया व्यवहारिक

वाशिंगटन, 3 अक्टूबर . अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) जेमिसन ग्रीर ने व्यापार वार्ता में India के दृष्टिकोण को “व्यावहारिक” बताया और कहा कि दोनों पक्ष “समझौते पर बातचीत करने की कोशिश कर रहे हैं.”

न्यूयॉर्क के इकोनॉमिक क्लब में एक अनौपचारिक चर्चा के दौरान, ग्रीर ने India के साथ जारी बातचीत के बारे में बात की. उन्होंने कहा, “भारतीय व्यावहारिक रुख अपना रहे हैं. हम प्रशासन के पहले दिन से ही व्यापार के मोर्चे पर भारतीयों के साथ बातचीत कर रहे हैं. इसलिए, जब आप India पर 50 प्रतिशत टैरिफ की बात करते हैं, तो उस 25 प्रतिशत का आधा हिस्सा वास्तव में व्यापार से जुड़ा होता है. यह पारस्परिक टैरिफ है. हम इसी पर बातचीत करके समझौता करने की कोशिश कर रहे हैं.”

बता दें, न्यूयॉर्क में India के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और यूएसटीआर ग्रीर के बीच 22 सितंबर को मुलाकात हुई. मुलाकात के कुछ दिनों बाद ग्रीर का यह बयान सामने आया है.

सूत्रों ने को बताया कि बैठक में प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया और दोनों पक्षों को जल्द ही एक अंतरिम समझौते पर पहुंचने की उम्मीद है.

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में यह भी कहा गया है कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने समझौते के अलग-अलग पहलुओं पर अमेरिकी Government के साथ “रचनात्मक बैठकें” कीं.

India की ओर से जारी बयान में आगे कहा गया, “दोनों पक्षों ने डील की संभावित रूपरेखा पर विचारों का आदान-प्रदान किया और पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार समझौते पर शीघ्र निष्कर्ष निकालने के उद्देश्य से बातचीत जारी रखने का निर्णय लिया गया.”

ग्रीर ने रूसी तेल खरीदने पर India पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की भी बात की और तर्क दिया कि अमेरिका किसी संप्रभु राष्ट्र पर अपनी शर्तें थोपने की कोशिश नहीं कर रहा है.

उन्होंने कहा, “India ने हमेशा इतना रूसी तेल नहीं खरीदा है. ऐसा नहीं है कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था का कोई आधारभूत हिस्सा है. जाहिर है, वे एक संप्रभु देश हैं. हम दूसरे देशों पर यह थोपने की कोशिश नहीं कर रहे हैं कि वे किसके साथ संबंध रख सकते हैं और किसके साथ नहीं.”

ग्रीर का यह भी मानना ​​था कि New Delhi “यूक्रेन में संघर्ष समाप्त करने” के अमेरिकी उद्देश्य को समझती है और अपनी ऊर्जा जरूरतों में बदलाव ला रही है.

उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि वे इसे समझते हैं. मैं देख सकता हूं कि वे बदलाव लाना शुरू कर रहे हैं.”

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि रूस से तेल खरीदने वाला India अकेला देश नहीं है, और ट्रंप प्रशासन ने यूरोपीय और चीनी देशों पर अपनी खरीद रोकने का दबाव डाला.

यूएसटीआर ग्रीर ने जोर देकर कहा, “हम अपने यूरोपीय सहयोगियों से पहले ही बात कर चुके हैं, जिनमें से कुछ आज भी रूसी तेल खरीद रहे हैं, जो कि एक अजीब बात है. इसलिए, हम सिर्फ भारतीयों से ही इस बारे में बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि हमने चीन से भी इस बारे में बात की. हमें बस इस युद्ध को खत्म करने की जरूरत है.”

बता दें, इससे पहले India के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से मुलाकात की थी. दोनों नेताओं के बीच हुई बातचीत के बाद, अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि India यूएस के लिए “महत्वपूर्ण” है और उन्होंने व्यापार के क्षेत्र में चल रही बातचीत का स्वागत किया.

एस जयशंकर के साथ मुलाकात के एक दिन बाद, रुबियो ने संकेत दिया कि ट्रंप की Government रूसी तेल खरीदने पर India पर लगाए गए अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ को “ठीक” करने को तैयार हो सकती है.

एनबीसी न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में, मार्को रुबियो ने कहा, “हम India के संबंध में उठाए गए कदमों को पहले ही देख चुके हैं, हालांकि हमें उम्मीद है कि हम इसे ठीक कर सकते हैं.”

इसके अलावा, अमेरिकी विदेश मंत्री ने यूक्रेन में संघर्ष समाप्त करने के लिए “पर्याप्त कदम न उठाने” के लिए यूरोपीय देशों को दोषी ठहराया.

इससे पहले, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने भी रूसी ऊर्जा की खरीद पर India के रुख को दोहराते हुए कहा कि “इस मामले में कोई दोहरा मापदंड नहीं हो सकता,” और उन्होंने ट्रंप Government के उन बयानों पर भी प्रकाश डाला जिनमें यूरोपीय संघ, नाटो और जी7 देशों से रूसी तेल और गैस खरीदना बंद करने का आह्वान किया गया था.

कनक/एएस